देश में चुनाव से ऐन पहले रेवड़ी कल्चर ( मुफ्त योजनाओं ) को लेकर सुप्रीम कोर्ट सख्त नजर आ रहा है. यही वजह है कि सर्वोच्च अदालत ने इसको गंभीर मुद्दा बताया है. आज यानि बुधवार को इस मामले को लेकर हुई सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि सरकार और चुनाव आयोग न तो इससे पल्ला झाड़ सकते हैं और न ही कुछ न करने की बात कह सकते हैं. वहीं याचिकाकर्ता के वकील विकास सिंह ने कहा कि सवाल यही है कि कर्ज़ में डूबा राज्य मुफ्त योजना कैसे पूरा करेगा। इस पर कोई सवाल नहीं करता। राजनीतिक दल की कोई ज़िम्मेदारी तय नहीं की जाती. केंद्र के वकील सॉलिसीटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि यह गंभीर मामला है। सॉलिसिटर जनरल ने कहा कि इस तरह की घोषणा से अर्थव्यवस्था पर बोझ पड़ता है। यह चुनाव आयोग पर छोड़ दिया जाना चाहिए। चुनाव आयोग को अपने स्टैंड पर पुनर्विचार करना चाहिए। चुनाव आयोग ने कहा था कि इस सम्बंध में आयोग के अधिकार सीमित हैं, आयोग इस मामले में कुछ नहीं कर सकता।
उन्होने कहा कि यह एक गम्भीर मुद्दा है। चुनाव आयोग और सरकार इससे पल्ला नहीं झाड़ सकते और यह नहीं कह सकते कि वे कुछ नहीं कर सकते। आप को इस पर विचार करना चाहिए और इसे रोकने को लेकर सुझाव देना चाहिए। कोर्ट 11 अगस्त को इस मामले में अगली सुनवाई करेगा।
Source : Avneesh Chaudhary