केरल के मरादू में अवैध फ्लैट्स को ध्वस्त करने के स्पष्ट आदेश के बावजूद राज्य सरकार की हीला-हवाली पर सुप्रीम कोर्ट ने कड़ी नाराजगी जाहिर की है. शुक्रवार को इस मामले में सुनवाई के दौरान जस्टिस अरुण मिश्रा ने केरल सरकार के रवैये से नाराज होकर सख्त टिप्पणी की. उन्होंने कहा कि अदालत का मकसद बिल्डिंग खाली कराना नहीं, बल्कि अवैध निर्माण रोकना था. इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने केरल सरकार को हर फ्लैट मालिक को अंतरिम मुआवजे के तौर पर चार हफ्तों के भीतर 25-25 लाख रुपए देने को भी कहा.
यह भी पढ़ेंः बढ़ी आजम खान की मुश्किलें, घर पर पुलिस ने 15 नोटिस और समन चस्पा किए
केरल सरकार के रवैये पर जताई नाराजगी
इस मामले में शुक्रवार सुप्रीम कोर्ट ने केरल सरकार के उस प्रस्ताव को ठुकरा दिया, जिसमे बिल्डिंग को खाली कराने पर तो राजीनामा था, लेकिन चार अपार्टमेंट वाली बिल्डिंग को अभी न गिराने का प्रस्ताव दिया गया था. राज्य सरकार के रवैये से नाराज जस्टिस अरुण मिश्रा ने कहा, हमारा मकसद बिल्डिंग खाली करना नहीं, बल्कि अवैध निर्माण रोकना था. बेहद तल्ख टिप्पणी में जस्टिस अरुण मिश्रा ने कहा कि राज्य सरकार अगर अपने स्तर पर यह नहीं कर सकती, तो हम किसी और से कराएंगे. किसी भी कीमत पर गैरकानूनी निर्माण को जारी नहीं रखा जा सकता.
यह भी पढ़ेंः Madhya Pradesh हनी ट्रैप: कांग्रेस नेता ने दिया विवादित बयान, RSS पर लगाया आरोप
हर फ्लैट मालिक को 25 लाख का अंतरिम मुआवजा
सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के मुताबिक चार हफ्ते के अंदर केरल सरकार को हर फ्लैट मालिक को चार हफ्तों में 25 लाख रुपए का अंतरिम मुआवजा देना है. यह रकम बिल्डर से वसूली जाएगी. बाकी के मुआवजे की रकम रिटायर्ड जज, टेक्निकल एक्सपर्ट और सिविल इंजीनियर की कमेटी तय करेगी. अवैध निर्माण गिराए जाने को लेकर राज्य के मुख्य सचिव एक हफ्ते के अंदर हलफनामा दायर करेंगे. इस मामले की अगली सुनवाई अब 25 अक्टूबर को होगी.
HIGHLIGHTS
- केरल के मरादू में अवैध फ्लैट्स का है मामला.
- सरकार की हीला-हवाली पर की सख्त टिप्पणी.
- कहा-मकसद अवैध निर्माण रोकना है.