उच्चतम न्यायालय ने दिल्ली के मुख्य सचिव विजय कुमार देव को तलब किया है. न्यायालय ने कहा कि इस क्षेत्र में प्रदूषण के खतरनाक स्तर की वजह से जीवन अवधि घटने की ओर इशारा करने वाले वैज्ञानिक आंकड़ों की वजह से बड़े पैमाने पर लोगों का पलायन नहीं हो सकता. शीर्ष अदालत ने कहा कि इस अवधि में हर साल प्रदूषण की वजह से एक विचित्र स्थिति उत्पन्न होती है लेकिन दिल्ली सरकार, स्थानीय निकाय और अन्य संबंधित राज्य सरकारें अपने कर्तव्यों का ठीक से निर्वहन नहीं करती हैं. न्यायालय ने इस मामले में पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश के मुख्य सचिवों को छह नवंबर को पेश होने का निर्देश दिया है.
न्यायमूर्ति अरुण मिश्रा और न्यायमूर्ति दीपक गुप्ता की पीठ ने प्रदूषण की गंभीर स्थिति के लिये प्राधिकारियों को आड़े हाथ लिया है. पीठ ने इस स्थिति को हतप्रभ करने वाला करार देते हुये कहा, ‘‘बड़े पैमाने पर लोगों का पलायन नहीं हो सकता. दिल्ली में भी लोगों को अपने कर्तव्यों का निर्वहन करना होगा और उन्हें दिल्ली, जो राजधानी है, से बाहर नहीं निकाला जा सकता.’’पीठ ने कहा , ‘‘अब समय आ गया है जब हमें इस तरह की पैदा हुई स्थिति के लिये जिम्मेदारी तय करनी होगी और संविधान के अनुच्छेद 21 का घोर उल्लंघन करके जीने के अधिकार को नष्ट किया जा रहा है. शीर्ष अदालत ने पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश सरकारों को अपने-अपने इलाकों में पराली जलाने पर तुरंत रोक लगाने का भी निर्देश दिया है.
न्यायालय ने अपने आदेश में कहा, ‘‘हम पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश के मुख्य सचिवों के साथ ही दिल्ली के मुख्य सचिव को भी छह नवंबर को पेश होने का निर्देश देते हैं.’’प्रदूषण पर नियंत्रण के लिये अनेक निर्देश देते हुये शीर्ष अदालत ने केन्द्र और संबंधित राज्य सरकारों तथा दिल्ली सरकार को तत्काल वायु प्रदूषण की आपात स्थिति से निबटने के लिये कदम उठाने का भी निर्देश दिया है.