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देवांगना, नताशा और आसिफ की जमानत में दखल देने से सुप्रीम कोर्ट का इनकार, UAPA को असंवैधानिक बताने के फैसले पर होगा विचार

सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली पुलिस की एक याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा कि दिल्ली हाई कोर्ट का फैसला नजीर नहीं बन सकता है. हालांकि, सर्वोच्च अदालत ने इन आरोपियों की जमानत के आदेश में दखल देने से इनकार कर दिया.

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Kuldeep Singh
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UAPA को असंवैधानिक बताने के HC के फैसले पर विचार करेगा सुप्रीम कोर्ट( Photo Credit : न्यूज नेशन)

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दिल्ली दंगों की साजिश के आरोप में गिरफ्तार जेएनयू के छात्रों और पिंजरा तोड़ ग्रुप के कार्यकर्ताओं को पहले जमानत देने और फिर तुरंत रिहाई का आदेश देने पर सुप्रीम कोर्ट ने संकेतों में नाराजगी जाहिर की है. सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली पुलिस की एक याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा कि दिल्ली हाई कोर्ट का फैसला नजीर नहीं बन सकता है. हालांकि, सर्वोच्च अदालत ने इन आरोपियों की जमानत के आदेश में दखल देने से इनकार कर दिया. पिंजरा तोड़ ऐक्टिविस्‍ट्स देवांगना कलिता, नताशा नरवाल जामिया के स्‍टूडेंट आसिफ इकबाल तनहा को गुरुवार शाम तिहाड़ जेल से रिहा कर दिया गया. अदालत ने गुरुवार को जेल प्रशासन को निर्देश दिया कि वे दिल्ली दंगों की साजिश मामले में गिरफ्तार जेएनयू छात्राओं और पिंजरा तोड़ ग्रुप की कार्यकर्ताओं नताशा नरवाल और देवांगना कलिता को जेल से तुरंत रिहा करे. 19 जुलाई के बाद कोर्ट आगे सुनवाई करेगा.

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मामले की सुनवाई के दौरान सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने दिल्ली हाईकोर्ट के आदेश पर रोक लगाने की मांग की. उन्होंने कहा कि आरोपियों को भले ही फिलहाल बाहर रहने दीजिए, पर हाईकोर्ट ने आदेश देते हुए बेहद गैरज़रूरी टिप्पणी की है. तुषार मेहता ने कहा कि हाईकोर्ट ने UAPA की ग़लत व्याख्या की है. इसको आधार बनाकर ज़मानत अर्जी दाखिल हो रही है. 53 लोग मारे गए  700 लोग घायल हुए. लोगों के बयान है कि अमेरिका के राष्ट्रपति के दौरे के चलते दंगों की साजिश रची गई. तुषार मेहता ने सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट के आदेश के कुछ हिस्से  को पढ़ा. उन्होंने कहा कि हाईकोर्ट ने अपने फैसले में लिखा है कि सरकार ने आंतकवादी गतिविधियों और विरोध प्रदर्शन के अंतर को ख़त्म सा कर दिया है. क्या लोगों को मारने का अधिकार भी विरोध प्रदर्शन के अधिकार में शामिल हो गया?

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हाई कोर्ट ने की थी कड़ी टिप्पणियां
ध्यान रहे कि दिल्ली हाई कोर्ट ने अपने आदेश में केंद्र सरकार और दिल्ली पुलिस पर कई कड़ी टिप्पणियां की थीं. उसने कहा था कि आंदोलन और आतंकवाद में अंतर करना चाहिए और आंदोलन करने वाले आतंकवादी नहीं होते. आज जब सुप्रीम कोर्ट ने यह कहा कि हाई कोर्ट का फैसला नजीर नहीं बनेगा, तो कहीं-न-कहीं उसने हाई कोर्ट की इन टिप्पणियों से भी असहमति जता दी है.

रिहाई के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट गई थी दिल्ली पुलिस
बहरहाल, दिल्ली दंगों की साजिश मामले में गिरफ्तार जेएनयू छात्राओं और पिंजरा तोड़ ग्रुप की कार्यकर्ताओं नताशा नरवाल और देवांगना कलिता, जामिया छात्र आसिफ इकबाल तन्हा, जेल से रिहा हो चुके हैं. इन तीनों को जमानत देने के दिल्ली हाई कोर्ट के आदेश को दिल्ली पुलिस ने सुप्रीम कोर्ट ने चुनौती दी है. इस मामले में आज सुनवाई हुई. तीनों की जमानत के खिलाफ दिल्ली पुलिस ने सुप्रीम कोर्ट में इस मामले में पुनर्विचार की मांग की. दिल्ली हाई कोर्ट ने इन तीनों को सरकार के खिलाफ सख्त टिप्पणी करते हुए जमानत दे दी थी.

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