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ट्रैक्टर रैली पर सोमवार को SC में सुनवाई, खालिस्तान समर्थकों पर भी हलफनामा

सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) तीनों कृषि कानूनों को चुनौती देने वाली और दिल्ली की विभिन्न सीमाओं पर डेरा डाले किसानों को हटाने संबंधी याचिकाओं पर सोमवार को सुनवाई कर सकता है.

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Nihar Saxena
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Farmers Agitation

सरकार एक कदम आगे आने को तैयार , किसान नेता अड़े.( Photo Credit : न्यूज नेशन)

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सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) तीनों कृषि कानूनों को चुनौती देने वाली और दिल्ली की विभिन्न सीमाओं पर डेरा डाले किसानों को हटाने संबंधी याचिकाओं पर सोमवार को सुनवाई कर सकता है. न्यायमूर्ति एल. नागेश्वर राव और विंसेंट सरन के साथ ही प्रधान न्यायाधीश एस. ए. बोबडे की अध्यक्षता वाली एक पीठ 18 जनवरी को याचिकाओं पर सुनवाई करेगी. इससे पहले 12 जनवरी को शीर्ष अदालत ने अगले आदेश तक तीनों कृषि कानूनों के कार्यान्वयन पर रोक लगा दी थी. इस बीच नए कृषि कानून (Farm Laws) को लेकर किसान यूनियनों और सरकार के बीच नौवें दौर की वार्ता भी शुक्रवार को बेनतीजा रही अगले दौर की वार्ता के लिए 19 जनवरी की तारीख तय हुई है.

अगली बैठक 19 जनवरी को
केंद्र सरकार द्वारा लागू तीन कृषि कानून को निरस्त करने कि किसानों की मांग पर गतिरोध जारी है. केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने वार्ता के बाद कहा, 'तीन कृषि कानून समेत अन्य मसलों पर फिर किसान यूनियनों के प्रतिनिधियों के साथ लंबी वार्ता हुई, लेकिन चर्चा निर्णायक मोड़ पर नहीं पहुंच पाई. इसलिए यूनियन और सरकार दोनों ने मिलकर यह तय किया की 19 जनवरी को फिर दोपहर 12.00 बजे बैठक कर विषयों पर चर्चा करेंगे.' इस बीच मोदी सरकार की ओर से सोमवार को पेश याचिका पर सुप्रीम कोर्ट सुनवाई करेगा, जिसमें ट्रैक्टर रैली पर रोक लगाने समेत किसान आंदोलन में 'खालिस्तान समर्थकों' की घुसपैठ का जिक्र है. केंद्र सरकार की ओर से सुप्रीम कोर्ट में अर्जी दाखिल कर कहा गया है कि खुफिया एजेंसी की सूचना है कि 26 जनवरी के मौके पर कुछ संगठन ट्रैक्टर रैली करने की योजना बना रहे हैं. ऐसे में उन्हें राजधानी इलाके में घुसने से रोकने के लिए आदेश पारित किया जाए. 

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मान छोड़ चुके हैं सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित कमेटी
शुक्रवार को मोदी सरकार के प्रतिनिधियों से वार्ता से पहले भारतीय किसान यूनियन के अध्यक्ष भूपिंदर सिंह मान ने अदालत द्वारा नियुक्त विशेषज्ञ समिति से अपना नाम वापस ले लिया है. मान ने गुरुवार को एक बयान में कहा था कि वह किसानों के हितों से समझौता नहीं करेंगे और इसके लिए वह कोई भी पद छोड़ने को तैयार हैं. उन्होंने कहा कि आम जनता के बीच प्रचलित भावनाओं और आशंकाओं के मद्देनजर, वह पंजाब या देश के किसानों के हितों से समझौता नहीं करने के लिए कोई भी पद छोड़ने को तैयार हैं. मान ने कहा, 'मैं खुद को समिति से हटा रहा हूं और मैं हमेशा अपने किसानों और पंजाब के साथ खड़ा रहूंगा.'

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किसानों का कमेटी को मानने से दो टूक इंकार
मान के अलावा, शेतकरी संगठन (महाराष्ट्र) के अध्यक्ष अनिल घनवत, अंतर्राष्ट्रीय खाद्य नीति अनुसंधान संस्थान से प्रमोद कुमार जोशी और कृषि अर्थशास्त्री अशोक गुलाटी को शीर्ष अदालत ने विशेषज्ञ पैनल में नियुक्त किया है. कृषि कानूनों के कार्यान्वयन पर रोक लगाते हुए, शीर्ष अदालत ने उम्मीद जताई है कि यह कदम गतिरोध को हल करने में मदद कर सकता है. किसानों के प्रतिनिधियों ने शुक्रवार को केंद्र से कहा कि नए कृषि कानूनों पर उनकी शिकायतों के निवारण के लिए सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित चार सदस्यीय समिति उन्हें स्वीकार्य नहीं है. हालांकि वे सरकार के साथ परस्पर वार्तालाप जारी रखेंगे.

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फिर भी सरकार से वार्ता जारी रखेंगे किसान
हालांकि शुक्रवार को भारतीय किसान यूनियन (भाकियू) के नेता राकेश टिकैत ने केंद्रीय मंत्रियों नरेंद्र सिंह तोमर, रेल मंत्री पीयूष गोयल और राज्य मंत्री सोम प्रकाश के साथ नौवें दौर की बातचीत के दौरान लंच ब्रेक के बाद कहा, सरकार के प्रतिनिधियों के साथ हमारी बैठक के दौरान, हमने यह स्पष्ट किया कि सुप्रीम कोर्ट की ओर से गठित समिति स्वीकार्य नहीं है. हालांकि किसान केंद्र के साथ बातचीत जारी रखेंगे और बातचीत के जरिए हल निकालने की कोशिश करेंगे. मुख्य रूप से पंजाब, हरियाणा और पश्चिमी उत्तर प्रदेश के हजारों किसान नवंबर के अंत से दिल्ली की विभिन्न सीमाओं पर आंदोलन कर रहे हैं.

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