Skin to Skin Touch : सर्वोच्च न्यायालय (Supreme Court) में आज पॉक्सो (POCSO) कानून पर बॉम्बे हाई कोर्ट (Bombay High Court) के फैसले के खिलाफ दायर याचिकाओं पर सुनवाई की जाएगी. अभी हाल में ही बॉम्बे हाई कोर्ट की नागपुर पीठ की न्यायमूर्ति पुष्पा गनेडीवाला ने 19 जनवरी को पारित एक आदेश में कहा कि गलत मंशा से स्किन से स्किन का संपर्क होने को ही यौन हमला माना जाएगा. कोर्ट ने कहा कि महज किसी को छूना यौन हमले की परिभाषा में नहीं आता. सत्र अदालत के एक फैसले में संशोधन करते हुए कोर्ट ने यह बात कही. सत्र अदालत ने 12 साल की बच्ची का यौन उत्पीड़न करने के आरोपी सतीश (39) को तीन साल कैद की सजा सुनाई थी. आपको बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने 27 जनवरी को ही इस फैसले पर रोक लगा दी थी.
सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में अभियुक्त और महाराष्ट्र सरकार को दो सप्ताह में जवाब देने के लिए नोटिस जारी किया था और अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल को इस फैसले के खिलाफ अपील दायर करने की अनुमति दी थी. आपको बता दें कि केके वेणुगोपाल ने बॉम्बे हाईकोर्ट के इस फैसले को अभूतपूर्व बताया था. उन्होंने कहा था कि कि इससे अदालतों के लिए गलत नजीर पेश होगा. जिससे आने वाले समय में लोगों को न्याय मिलने में दिक्कतें आएंगी. इस मामले की सुनवाई आज राष्ट्रीय महिला आयोग समेत अन्य दायर याचिकाओं पर मुख्य न्यायाधीश एसए बोबडे की अध्यक्षता वाली पीठ करेगी.
जानिए क्या है पूरा मामला
आपको बता दें कि बॉम्बे हाई कोर्ट ने कहा, पीड़िता को निर्वस्त्र किए बिना आरोपी ने उसके स्तन को छूने की कोशिश की, इसलिए इसे यौन हमला नहीं कहा जा सकता. यह भादंसं की धारा 354 के तहत शील भंग का अपराध है और इसमें कम से कम एक वर्ष कैद की सजा है. दूसरी ओर, पॉक्सो एक्ट के तहत यौन हमले की न्यूनतम सजा तीन साल कैद है.
हाई कोर्ट ने आरोप को पॉक्सो एक्ट से बरी किया लेेकिन सजा बरकरार रखी
आरोपी सतीश को सत्र अदालत ने पॉक्सो एक्ट और भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 354 के तहत उसे तीन साल कारावास की सजा दी थी और दोनों सजाएं साथ चलनी थीं. हालांकि हाई कोर्ट ने उसे पॉक्सो एक्ट के अपराध से बरी कर दिया और IPC की धारा 354 के तहत सजा बरकरार रखी. हाई कोर्ट ने कहा, पॉक्सो कानून में कड़ी सजा की कठोर प्रकृति को ध्यान में रखते हुए कोर्ट का मानना है कि इसके लिए गंभीर आरोप हों और फिर मजबूत साक्ष्य होने चाहिए.
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जानिए क्या है पॉक्सो एक्ट
पॉक्सो एक्ट के अनुसार, जब कोई यौन मंशा से बच्ची-बच्चे के निजी अंगों, वक्ष को छूता है या बच्ची-बच्चे से अपना या किसी व्यक्ति के निजी अंग को टच कराता है या फिर यौन मंशा से कोई और कृत्य करता/कराता है जिसमें संभोग किए बगैर शारीरिक संपर्क शामिल हो, उसे यौन हमला माना जाएगा. हाई कोर्ट ने फैसले में कहा, यौन हमले की परिभाषा में सीधा शारीरिक संपर्क होना चाहिए.
HIGHLIGHTS
- SC करेगा बॉम्बे HC के विवादित फैसले की सुनवाई
- 19 जनवरी को स्किन से स्किन टच पर फैसला दिया था
- पॉक्सो एक्ट को लेकर दिया था ऐसा फैसला
Source : News Nation Bureau