सुप्रीम कोर्ट माइग्रेटेड रोहिंग्या मुस्लिम को देश से निकाल कर म्यानमार भेजने के फैसले के ख़िलाफ़ दायर की गई याचिका पर सुनवाई के लिए तैयार हो गई है। सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को अंतर्राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग क़ानून के साथ, कई और पहलुओं को ध्यान में रखते हुए ये फैसला लिया।
बता दें कि प्रशांत भूषण ने इस मामले में जल्द सुनवाई के लिए सुप्रीम कोर्ट में हलफ़नामा दायर किया था। जिसके बाद जस्टिस दीपक मिश्रा, एएम खानविलकर और डीवाई चंद्रचूड़ की तीन जजों की बेंच ने ये फ़ैसला लिया।
दो रोहिंग्या मुसलमानों ने याचिका दायर कर कहा है कि वे म्यांमार में मुकदमे का सामना कर रहे हैं और उन्हें वापस भेजना विभिन्न अंतरराष्ट्रीय संधियों का उल्लघंन है।
बता दें कि केंद्र सरकार कुछ दिनों से म्यांमार से भारत आए और गैरकानूनी ढंग से रह रहे रोहिंग्या मुसलमानों की पहचान कर रहा है। बताया जाता है कि ये मुसलमान पिछले 5-7 सालों से भारत में रह रहे हैं।
यूनाइटेड नेशंस ह्यूमन राइट्स कमीशन के मुताबिक 14,000 रोहिंग्या 'शरणार्थी' भारत में रह रहे हैं। हालांकि भारत इसे शरणार्थी नहीं मानता। भारत के मुताबिक ये भारत में रहने वाले ग़ैर क़ानूनी विदेशी हैं।
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केंद्र सरकार जम्मू समेत भारत के अलग-अलग हिस्सों में रहने वाले विदेशी लोगों को गिरफ्तार करके फॉरेनर्स एक्ट के तहत डिपोर्ट करने की योजना बना रही है। एक आंकड़े के मुताबिक फिलहाल भारत में लगभग 40,000 रोहिंग्या मुसलमान रह रहे हैं।
जानकार बताते हैं कि इन लोगों ने समंदर के रास्ते, बांग्लादेश सीमा और म्यांमार बॉर्डर के ज़रिए भारत में एंट्री की है।
रोहिंग्या मुसलमान की कुल आबादी करीब 8 लाख बताई जाती है। ये लोग 15वीं सदी से म्यांमार के राखाइन राज्य में रह रहे हैं। बर्मा सरकार इन लोगों को अपना नागरिक नहीं मानती है और भगा रही है।
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HIGHLIGHTS
- रोहिंग्या मुस्लिम को म्यानमार वापस भेजने के फैसले के ख़िलाफ़ दायर याचिका पर होगी सुनवाई
- जस्टिस दीपक मिश्रा, एएम खानविलकर और डीवाई चंद्रचूड़ की तीन जजों की बेंच ने लिया फ़ैसला
Source : News Nation Bureau