मुस्लिम समुदाय में निकाह हलाला और बहुविवाह परंपरा के खिलाफ दायर अर्जी पर चीफ जस्टिस शरद अरविंद बोबडे वाली खंडपीठ ने जल्द सुनवाई से इंकार कर दिया. अदालत ने कहा कि शीतकालीन अवकाश के बाद ही इस पर विचार करेंगे. बीजेपी नेता और वकील अश्विनी कुमार उपाध्याय ने
तीन सदस्यीय खडपीठ के समक्ष जल्द सुनवाई की अर्जी दाखिल की थी. इसके जवाब में चीफ जस्टिस ने कहा कि ये रिवाज सदियों से चले आ रहे हैं. इस पर जल्द सुनवाई नहीं हो सकती.
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सदियों पुरानी परंपरा है
इस अर्जी पर सुनवाई करते हुए चीफ जस्टिस एसए बोबडे ने कहा 'ये परंपरा मुस्लिम समुदाय में हज़ारों साल से चली आ रही है और यह धार्मिक परंपरा भी हो सकती है.' इस पर सुनवाई करने वाली खंडपीठ में चीफ जस्टिस के अलावा सूर्यकांत और बीआर गवई भी शामिल रहे. गौरतलब है कि यह मामला पहले ही विचार के लिए संविधान पीठ को सौंपा जा चुका है. गौरतलब है कि देश की शीर्ष अदालत गर्मियों और सर्दियों में अवकाश पर रहती है. गर्मियों में डेढ़ माह, जबकि सर्दियों में पंद्रह दिन का शीतकालीन अवकाश रहता है.
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तीन तलाक बन चुका है अपराध
गौरतलब है कि मोदी सरकार तीन तलाक परंपरा को खत्म कर उसे अपराध बना चुकी है. ऐसे में इसके खिलाफ सर्वोच्च अदालत में दोबारा सुनवाई की अर्जी पहले ही दाखिल की जा चुकी है. बहुविवाह परंपरा के तहत एक पुरुष एक पत्नी से ज्यादा पत्नियां घर पर रख सकता है. निकाह-हलाला के तहत तलाकशुदा पत्नी को अपने पहले पति से शादी करने से पहले किसी और पुरुष से शादी करनी पड़ती है. फिर उससे तलाक लेने के बाद ही वह अपने पूर्व पति से शादी कर सकती है.
HIGHLIGHTS
- निकाह-हलाला पर जल्द सुनवाई से सुप्रीम कोर्ट से इंकार.
- शीतकालीन अवकाश के बाद ही होगी सुनवाई.
- मोदी सरकार तीन तलाक को बना चुकी अपराध.