सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने स्वत: संज्ञान लेते हुये कहा कि जल्द ही मृत्युदंड को लेकर गाइडलाइन यानी दिशा-निर्देश किया जायेगा, जो पूरे देश की अदालतों के लिये मान्य होगा. सुप्रीम कोर्ट ने मध्य प्रदेश के इरफान उर्फ भैय्यू मेवाती की एक याचिका पर विचार करते हुए ये निर्णय लिया है. इरफान को नाबालिग से रेप के आरोप में निचली अदालत ने फांसी की सजा सुनाई थी, जिस पर हाईकोर्ट भी मुहर लग चुका है. अदालत ने अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल (KK Venugopal) से इस मामले में सहायता करने के लिए कहा है. इस मामले में नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी के प्रोजेक्ट 39ए ने आवेदन दायर किया था, जिसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने मृत्युदंड (Capital Punishment) की सजा पर विचार करना शुरू किया. इस मामले में अब अगली सुनवाई 10 मई को होगी.
एटॉर्नी जनरल से भी मांगी मदद
जस्टिस यूयू ललित, जस्टिस एस रविंद्र भट्ट और जस्टिस पीएस नरसिम्हा की खंडपीठ ने गाइडलाइन तैयार करने में एटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल की मदद भी मांगी है. खंडपीठ ने साथ ही राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण को भी नोटिस भेजा है. खंडपीठ ने कहा कि मृत्युदंड की सजा से संबंधित मामलों में देशभर की अदालतों के लिये गाइडलाइन तैयार की जायेगी. खंडपीठ ने कहा कि मृत्युदंड की सजा पाने वाले अभियुक्तों के लिये बचाव के उपाय बहुत ही सीमित हैं.
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इरफान की मौत की सजा पर सुनवाई के दौरान कही बात
खंडपीठ इरफान नामक एक अभियुक्त की याचिका पर सुनवाई कर रही थी. इरफान को निचली अदालत ने मौत की सजा सुनाई थी, जिसे मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ने बरकरार रखा था. अटॉर्नी जनरल ने कहा कि मृत्युदंड देने की प्रणाली संस्थागत होनी चाहिये. मामले की सुनवाई के दौरान एमिकल क्यूरी के परमेश्वर ने कहा कि मध्यप्रदेश में ऐसी नीति है कि जो सरकारी वकील जितने अधिक मामलों में मृत्युदंड की सजा दिलवाता है, उसी के आधार पर उसे वेतनवृद्धि मिलेगी. इस मामले में दूसरे एमिकस क्यूरी सिद्धार्थ दवे हैं.
HIGHLIGHTS
- देश भर की अदालतों के लिए मौत की सजा पर सुप्रीम कोर्ट बनाएगा दिशा-निर्देश
- सर्वोच्च अदालत का मानना है कि मौत की सजा से बचाव के विकल्प सीमित
- खंडपीठ ने साथ ही राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण को भी नोटिस भेजा है