EWS Reservation: भारत में सामान्य जाति के गरीब नागरिकों को मिलने वाले 10 फीसदी आरक्षण पर सुनवाई पूरी हो चुकी है. सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court of India) इस मामले में सोमवार को फैसला सुना सकता है. सुप्रीम कोर्ट में संविधान के 103वें संसोधन को चुनौती दी गई है. अब ये सुप्रीम कोर्ट तय करेगा कि ये कानून लागू होगा या फिर रद्द हो जाएगा. क्या ये आरक्षण संविधान विरोधी है? असली फैसला सुप्रीम कोर्ट को इसी पर लेना है. इस मामले में बहस पूरी हो चुकी है. सरकार अपना पक्ष रख चुकी है. बाकी सभी पक्षों की तरफ से भी दलील दी जा चुकी है.
लगातार 7 दिनों तक 5 जजों ने की सुनवाई
इस मामले में पिछले 7 दिनों से लगातार सुनवाई चल रही थी. सीजेआई यूयू ललित, जस्टिस दिनेश माहेश्वरी, जस्टिस एस रविंद्र भट, जस्टिस बेला एम त्रिवेदी और जस्टिस जेबी पारदीवाला की 5 सदस्यीय बेंच इस मामले की सुनवाई कर रही थी. इस मामले में 3 सदस्यीय बेंच में सुनवाई हुई थी, जब बेंच ने इसे बड़ी पीठ के पास भेज दिया था. अब मुख्य बेंच की अगुवाई सीजेआई यूयू ललित कर रहे हैं, जो 8 नवंबर को रिटायर भी हो रहे हैं.
साल 2019 से केंद्र सरकार ने की है आरक्षण की व्यवस्था
बता दें कि जनवरी 2019 में केंद्र सरकार ने संविधान के 103वें संसोधन के माध्यम से नौकरियों और शिक्षा में सामान्य वर्ग के गरीब तबके के लिए 10 फीसदी आरक्षण की व्यवस्था की थी. इसमें केंद्र सरकार ने आर्टिकल 15 और 16 में संसोशन करके कुछ चीजें जोड़ी थी. जिसमें आर्टिकल 15(6) के तहत विशेष प्रावधान किये गए थे. सरकार के इसी फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई है.
HIGHLIGHTS
- सोमवार को सुप्रीम कोर्ट करेगा अहम फैसला
- सामान्य वर्ग के आरक्षण पर आएगा फैसला
- सीजेआई की 5 सदस्यीय बेंच कर रही सुनवाई
Source : News Nation Bureau