सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के निदेशक एसके मिश्रा के कार्यकाल को पिछले साल मई में सेवानिवृत्ति की आयु तक पहुंचने के बावजूद नवंबर 2021 तक बनाए रखने के केंद्र सरकार के फैसले को बरकरार रखा. हालांकि शीर्ष अदालत ने स्पष्ट किया कि उन्हें और कोई सेवा विस्तार नहीं दिया जा सकता है. न्यायमूर्ति एल नागेश्वर राव की अध्यक्षता वाली पीठ ने जोर देकर कहा कि हालांकि केंद्र के पास कार्यकाल बढ़ाने की शक्ति है, लेकिन यह केवल असाधारण मामलों में ही किया जाना चाहिए. शीर्ष अदालत ने कहा कोई और विस्तार नहीं दिया जाना चाहिए और याचिका खारिज की जाती है.
कॉमन कॉज ने दायर की थी याचिका
शीर्ष अदालत का फैसला एनजीओ कॉमन कॉज की एक जनहित याचिका पर आया है, जिसमें प्रवर्तन निदेशालय के निदेशक के कार्यकाल के विस्तार को चुनौती दी गई है. एनजीओ की याचिका में कहा गया है कि केंद्र ने 18 नवंबर 2018 के नियुक्ति आदेश को पूर्वव्यापी रूप से संशोधित करके मिश्रा को ईडी निदेशक के रूप में एक और वर्ष प्राप्त करने के लिए सुनिश्चित करने के लिए एक घुमावदार रास्ता अपनाया है. एनजीओ ने अपनी याचिका में तीन प्रतिवादी बनाए हैं: राजस्व विभाग, वित्त मंत्रालय; वर्तमान ईडी निदेशक; और केंद्रीय सतर्कता आयोग. एनजीओ द्वारा दायर याचिका में 13 नवंबर, 2020 को रद्द करने के आदेश के साथ-साथ केंद्र को पारदर्शी तरीके से और केंद्रीय सतर्कता आयोग अधिनियम की धारा 25 के आदेश के अनुसार ईडी निदेशक की नियुक्ति करने का निर्देश देने की मांग की गई थी.
सेवा विस्तार दुर्लभ और अपवाद स्वरूप ही हो
न्यायमूर्ति एल नागेश्वर राव की अध्यक्षता वाली पीठ ने हालांकि यह स्पष्ट किया कि सेवानिवृत्ति की आयु में पहुंच चुके अधिकारियों के कार्यकाल में विस्तार दुर्लभ और अपवाद वाले मामलों में किया जाना चाहिए. भारतीय राजस्व सेवा के अधिकारी मिश्रा को 19 नवंबर 2018 में एक आदेश जारी कर दो साल की अवधि के लिए ईडी का निदेशक नियुक्त किया गया और बाद में 13 नवंबर 2020 को एक आदेश के जरिए केंद्र सरकार ने नियुक्ति पत्र में पूर्व प्रभावी बदलाव किया और उनके दो साल के कार्यकाल को बढ़ाकर तीन साल कर दिया गया.
HIGHLIGHTS
- सुप्रीम कोर्ट ने ईडी निदेशक का सेवा विस्तार कायम रखा
- यह जरूर कहा कि अब नहीं दे केंद्र सरकार सेवा विस्तार
- 19 नवंबर 2018 को दो साल के लिए ईडी निदेशक बने थे