Supreme Court Verdict: सुप्रीम कोर्ट ने ऐतिहासिक फैसला सुनाते हुए तलाक के संबंध में बड़ी बात कही है. यादि किसी शादी में रिश्ते सुधरने की गुंजाइश न बची हो तो ऐसे मामले में सुप्रीम कोर्ट तुरंत तलाक को मूंजरी दे सकता है. सोमवार को शीर्ष अदालत की संवैधानिक बेंच ने सुनवाई के दौरान ये बात कही. कोर्ट ने कहा कि आर्टिकल 142 के तहत सुप्रीम कोर्ट को अधिकार दिया गया है कि न्याय के लिए दोनों पक्षों की सहमति से कोई भी आदेश जारी कर सकता है. अदालत के अनुसार, यदि दोनों ही पक्ष तलाक को लेकर राजी हैं तो फिर ऐसे मामलों को फैमली कोर्ट में जाने की जरूरत नहीं होगी. यहां पर छह से 18 माह तक का इंतजार करना पड़ता है.
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दोनों पक्षों के साथ न्याय करने वाला आदेश जारी किया जा सकता है
बेंच ने कहा कि आर्टिकल 142 के तहत सुप्रीम कोर्ट को यह अधिकार मिला है कि दोनों पक्षों के साथ न्याय करने वाला आदेश जारी किया जा सकता है. बेंच के अनुसार, अगर शादी में रिश्ते सुधारने की कोई भी गुंजाइश नहीं है तो फिर सुप्रीम कोर्ट अपने अधिकार का उपयोग करते हुए इसके आधार पर तलाक मंजूर कर सकता है. सुप्रीम कोर्ट के अनुसार, व्यभिचार, धर्मांतरण और क्रूरता जैसे मुद्दों को तलाक लेने का आधार माना जाएगा. जून 2016 के मामले के तहत यह निर्णय सुनाया गया.
सिंतबर में कोर्ट ने की थी सुनवाई
बेंच का कहना था कि संवैधानिक पीठ इस पर विचार करे कि क्या फैमली कोर्ट में मामले को भेजे बिना तलाक को मंजूरी दी जा सकती है. पांच सदस्यीय संवैधानिक बेंच इस मामले की सुनवाई कर रही थी. बीते वर्ष सितंबर में सुनवाई के वक्त फैसले को सुरक्षित रख लिया गया था. सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले को एतिहासिक माना जा रहा है. इससे बड़े स्तर पर लोगों को राहत मिलेगी. इस दौरान लोग लंबे इंतजार से बच सकेंगे.
HIGHLIGHTS
- संवैधानिक बेंच ने सुनवाई के दौरान ये बात कही
- आर्टिकल 142 के तहत सुप्रीम कोर्ट को अधिकार दिया गया है
- दोनों पक्षों की सहमति से कोई भी आदेश जारी कर सकता है