अयोध्या में राम मंदिर (Ram Mandir)-बाबरी मस्जिद (Babri Masjid) जमीन विवाद पर सुप्रीम कोर्ट में रोजाना सुनवाई चल रही है. बताया जा रहा है कि इस वर्ष नवंबर तक इस मामले में सुप्रीम कोर्ट का फैसला आ सकता है. इस मामले में अब तक 16 दिनों की सुनवाई हो चुकी. खास बात यह है कि हिंदू पक्ष के वकीलों ने शुक्रवार को अपनी दलीलें पूरी कर लीं. ऐसे में संभावना जताई जा रही है कि तीन महीनों के बाद सुप्रीम कोर्ट का इस मामले में ऐतिहासिक फैसला आ सकता है.
यह भी पढ़ेंःअब BSF के 'मगरमच्छ' हरामी नाले से घुसपैठ करने वाले पाकिस्तानी आतंकियों का करेंगे सफाया
सुन्नी वक्फ बोर्ड के वकील राजीव धवन अब सुप्रीम कोर्ट में अपना पक्ष रखेंगे. बता दें कि वकील राजीव धवन ने भी सुप्रीम कोर्ट में रोजाना सुनवाई की अपील का विरोध किया था. उन्होंने सुप्रीम कोर्ट में कहा था कि वो अपना पक्ष रखने के लिए 20 दिनों का समय लेंगे. अगर ऐसा होता है तो भी सुप्रीम कोर्ट के पास एक महीने से ज्यादा का समय बच जाएगा.
चीफ जस्टिस रंजन गोगोई नवंबर में होंगे रिटायर
इस केस की सुनवाई चीफ जस्टिस रंजन गोगोई, जस्टिस एसए बोबडे, जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़, जस्टिस अशोक भूषण और जस्टिस एस अब्दुल नजीर की पांच सदस्यीय संवैधानिक पीठ कर रही है. ये पीठ साल 2010 के इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ दायर 14 याचिकाओं पर सुनवाई कर रही है. चीफ जस्टिस गोगोई इस साल 17 नवंबर को रिटायर हो रहे हैं. ऐसे में हो सकता है कि नवंबर के दूसरे हफ्ते तक मामले की सुनवाई पूरी हो जाए.
यह भी पढ़ेंःअजब-गजब: पहले सांप ने काटा बूढ़े आदमी को उसके बाद जो हुआ जानकर हो जाएंगे हैरान
इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले पर सुनवाई
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने 30 सितंबर 2010 को अयोध्या टाइटल विवाद में फैसला दिया था. फैसले में कहा गया था कि विवादित जमीन को 3 बराबर हिस्सों में बांटा जाए. जिस जगह रामलला की मूर्ति है उसे रामलला विराजमान को दिया जाए. सीता रसोई और राम चबूतरा निर्मोही अखाड़े को दिया जाए, जबकि बाकी का एक तिहाई लैंड सुन्नी वक्फ बोर्ड को दी जाए. इसके बाद ये मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा था.