सुप्रीम कोर्ट ने जज बीएच लोया की मौत के मामले में स्वतंत्र जांच की मांग को खारिज कर दिया है। कोर्ट ने कहा है कि मामले का कोई आधार नहीं है, इसलिए इसमें जांच नहीं होगी।
प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्रा, न्यायमूर्ति एएम खानविलकर और न्यायमूर्ति डीवाई चंद्रचूड की पीठ ने मामले पर सुनवाई करते हुए कहा, 'चार जजों के बयान पर संदेह का कोई कारण नहीं है, उन पर संदेह करना संस्थान पर संदेह करने जैसा होगा। इस मामले के लिए न्यायपालिका को बदनाम करने की कोशिश की जा रही है।'
बता दें इस मामले में सामाजिक कार्यकर्ता तहसीन पूनावाला, बॉम्बे अधिवक्ता संघ, पत्रकार बंधुराज सम्भाजी लोन, एनजीओ सेंटर फॉर पब्लिक इंटरेस्ट लिटिगेशन (सीपीआईएल) और अन्य ने कोर्ट में लोया की मौत की स्वतंत्र जांच करने की मांग को लेकर याचिकाएं दायर की गई थी।
कोर्ट का फैसला आने के बाद याचिकर्ताओं के वकील प्रशांत भूषण ने इस फैसले को गलत बताते हुए नाराजगी जाहिर की।
उन्होंने कहा, 'यह सुप्रीम कोर्ट के इतिहास का काला दिन है। यह फैसला गलत है। कोर्ट ने मौत से जुड़े संदेहों पर पर्दा डाला है। ये भी सवाल उठता है कि यह फैसला किसके कहने पर दिया गया है।'
जज लोया सोहराबुद्दीन शेख एनकाउंटर केस की सुनवाई कर रहे थे। उनकी 1 दिसंबर 2014 को रहस्यमय परिस्थियों में मौत हो गई थी हालांकि कहा गया था कि उनकी मौत दिल का दौड़ा पड़ने से हुआ था।
क्या है सोहराबुद्दीन एनकाउंटर मामला
घटना साल 2005 में हुई थी। नवंबर महीने में सोहराबुद्दीन शेख और उनकी पत्नी कौसर बी हैदराबाद से एक बस में सांगली आ रहे थे जब पुलिस ने उन्हें पकड़ा और अहदाबाद ले आए। बाद में गुजराज पुलिस ने उनके एनकाउंटर की बात कही।
बाद में सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर कथित एनकाउंटर की जांच शुरू हुई। इस मामले को sc ने जांच के लिए गुजरात के बाहर भेज दिया।
गुजरात पुलिस ने इस मामले में भारतीय जनता पार्टी के मौजूदा अध्यक्ष अमित शाह को भी साज़िश रचने के आरोप में गिरफ़्तार किया था जिन्हें बाद में अदालत ने सबूतों के अभाव में बरी कर दिया।
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Source : News Nation Bureau