पिछले छह दिन से किसान दिल्ली की सड़क पर प्रदर्शन कर रहे हैं. सरकार की ओर से किसान संगठनों को बातचीत का प्रस्ताव दिया गया है लेकिन किसान अपनी शर्तों पर बातचीत करना चाहते हैं. केंद्र द्वारा लागू तीन कृषि कानूनों के खिलाफ दिल्ली में विरोध प्रदर्शन करने आ रहे हजारों किसान एक और सर्द रात सड़क पर बिताने के साथ राष्ट्रीय राजधानी के सिंघू और टिकरी बॉर्डर पर अब भी जमे हुए हैं. किसानों के आंदोलन की वजह से कई सड़क और दिल्ली आने वाले रास्ते बंद हैं. उधर दिल्ली से फरीदाबाद और गाजियाबाद के बॉर्डर भी बंद हैं. ऐसे में सवाल है कि शाहीन बाग के मामले में सुप्रीम कोर्ट का जो फैसला आया था उसके बाद भी किसानों का प्रदर्शन क्या जायज है?
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क्या था सुप्रीम कोर्ट का फैसला
सीएए के विरोध में शाहीन बाग (Shaheen Bagh) में हुए प्रदर्शन पर सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने अक्टूबर में फैसला दिया था कि कोई भी व्यक्ति या समूह सार्वजिनक स्थानों को ब्लॉक नहीं कर सकता है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि पब्लिक प्लेस पर अनिश्चितकाल के लिए कब्जा नही किया जा सकता. अदालत ने कहा कि धरना-प्रदर्शन का अधिकार अपनी जगह है लेकिन अंग्रेजों के राज वाली हरकत अभी करना सही नहीं है.
सार्वजनिक स्थानों पर अनिश्चित काल के लिए कब्जा नहीं
सुप्रीम कोर्ट ने कहा CAA के विरोध (Anti CAA Protest in Shaheen Bagh News) में बड़ी संख्या में लोग जमा हुए थे, रास्ते को प्रदर्शनकारियों ने ब्लॉक किया. सुप्रीम कोर्ट ने कहा मामले की सुनवाई के दौरान कोर्ट से अलग-अलग फैसला दिया गया. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि सार्वजनिक स्थानों और सड़कों पर अनिश्चित काल तक कब्जा नहीं किया जा सकता है.
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सार्वजनिक स्थानों को नहीं कर सकते ब्लॉक
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि विरोध जताने के लिए पब्लिक प्लेस या रास्ते को ब्लॉक नहीं किया जा सकता. शीर्ष अदालत ने कहा कि अधिकारियों को इस तरह के अवरोध को हटाना चाहिए. विरोध प्रदर्शन तय जगहों पर ही होना चाहिए. अदालत ने कहा कि प्रदर्शनकारियों के सार्वजनिक जगहों पर प्रदर्शन लोगों के अधिकारों का हनन है. कानून में इसकी इजाजत नहीं है.
Source : News Nation Bureau