Lok Sabha Election 2024: दूसरे चरण के मतदान के बीच SC का EVM पर बड़ा फैसला आज, 100% सत्यापन पर उठाए सवाल

इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीनों (EVMs) में डाले गए वोटों के साथ VVPATs के 100 फीसदी सत्यापन की मांग वाली याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट आज अपना फैसला सुनाएगा.

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Sourabh Dubey
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SC ( Photo Credit : social media)

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Supreme Court EVMs verdict today: इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीनों (EVMs) में डाले गए वोटों के साथ VVPATs के 100 फीसदी सत्यापन की मांग वाली याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट आज अपना फैसला सुनाएगा. बता दें कि सर्वोच्च अदालत का ये फैसला ऐसे वक्त में आ रहा है, जब देश में लोकसभा चुनाव के दूसरे चरण की 88 सीटों पर वोटिंग होनी है. अबतक हासिल जानकारी के मुताबिक, जस्टिस संजीव खन्ना और जस्टिस दीपांकर दत्ता की बेंच सुबह करीब 10.30 बजे इस मामले में फैसला सुनाएगी. मालूम हो कि, इन याचिकाओं में ईवीएम के साथ छेड़छाड़ कर नतीजों में हेरफेर का आरोप लगाया गया है. 

वहीं इस मामले में सर्वोच्च अदालत ने बुधवार को अपना फैसला सुरक्षित रखने से पहले कहा था कि, अदालत सिर्फ इस बुनियाद पर चुनावों को नियंत्रित नहीं कर सकती या निर्देश जारी नहीं कर सकती कि, EVM की प्रभावी होने के बारे में संदेह उठाया गया है. 

साथ ही अदालत ने ये भी स्पष्ट किया कि, वह ईवीएम के फायदों पर संदेह करने वालों और मतपत्रों की वापसी की मांग करने वालों की विचार प्रक्रिया को नहीं बदल सकती है. 

बता दें कि, EVMs पर सवाल सवाल उठाने वाले याचिकाकर्ताओं में गैर-लाभकारी एसोसिएशन ऑफ डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (ADR) और अन्य शामिल हैं.

कोर्ट के सवाल.. चुनाव आयोग के जवाब

गौरतलब है कि, सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग के एक अधिकारी से ईवीएम की कार्यप्रणाली से जुड़े पांच सवालों के जवाब मांगे, जिसमें यह भी शामिल है कि क्या उनमें लगे माइक्रोकंट्रोलर रिप्रोग्रामेबल हैं?

इसपर जवाब देते हुए वरिष्ठ उप चुनाव आयुक्त नितेश कुमार व्यास, जिन्होंने पहले ईवीएम की कार्यप्रणाली पर अदालत में एक प्रस्तुति दी थी, ने बताया कि, माइक्रोकंट्रोलर निर्माण के समय एक बार प्रोग्राम किए जा सकते हैं और ईवीएम की सभी तीन इकाइयों - बैलेटिंग यूनिट, वोटर वेरिफाइड पेपर ऑडिट ट्रेल्स (VVPATs ) और कंट्रोल यूनिट में स्थापित किए जाते हैं. इसके बाद उन्हें दोबारा प्रोग्राम नहीं किया जा सकता. 

चुनाव आयोग के अधिकारी का बयान पूरी तरह से सही नहीं: प्रशांत भूषण

वहीं याचिकाकर्ता ADR की ओर से पेश वकील प्रशांत भूषण ने आरोप लगाया कि, चुनाव आयोग के अधिकारी का बयान पूरी तरह से सही नहीं है. उन्होंने अपने तर्क के समर्थन में एक निजी संस्था की रिपोर्ट का हवाला दिया.

भूषण ने कहा कि, EVMs की पारदर्शिता के बारे में संदेह को दूर करने के प्रयास किये जाने चाहिए. उन्होंने आरोप लगाते हुए कहा कि, "रिपोर्ट में कहा गया है कि इन तीन इकाइयों में जिस तरह की मेमोरी का उपयोग किया गया है, उसे दोबारा प्रोग्राम किया जा सकता है. सिंबल लोडिंग के समय एक मैलिशियस प्रोग्राम आसानी से अपलोड किया जा सकता है."

Source : News Nation Bureau

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