जम्मू-कश्मीर में 4G इंटरनेट बहाली की मांग पर सुप्रीम कोर्ट (Supreme court) कल आदेश सुनाएगा. सुप्रीम कोर्ट ने सभी पक्षों की दलीलें सुनने के बाद पिछले सोमवार को फ़ैसला सुरक्षित रख लिया था . याचिकाकर्ता का कहना है कि मौजूदा 2G सर्विस के चलते बच्चों की पढ़ाई, कारोबार में दिक्कत आ रही है, कोरोना महामारी के बीच राज्य में लोग वीडियो कॉल के जरिये डॉक्टरों से ज़रूरी सलाह नहीं ले पा रहे.
इंटरनेट के जरिये डॉक्टरों तक पहुंचने के अधिकार, जीने के अधिकार के तहत आता है. लोगों को डॉक्टर तक पहुंचने से रोकना उन्हें आर्टिकल 19, 21 के तहत मिले मूल अधिकार से वंचित करना है.
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वहीं दूसरी तरफ़ अटॉर्नी जनरल के के वेणुगोपाल ने दलीले दी कि जम्मू कश्मीर (jammu and kashmir) में इंटरनेट स्पीड पर नियंत्रण आंतरिक सुरक्षा के लिए ज़रूरी है. राष्ट्रीय सुरक्षा सर्वोपरि है. ये फैसला सरकार पर छोड़ देना चाहिए.
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उन्होंने कहा कि सामाजिक, राजनैतिक स्थिरता या फिर सीमा की रक्षा, सब इसमे निहित है. ये फैसला सरकार पर छोड़ देना चाहिए. देश की सम्प्रभुता से जुड़े ऐसे मसलो पर सार्वजनिक तौर पर या कोर्ट में बहस नहीं की जा सकती. कोर्ट को इस मसले में दखल नहीं देना चाहिए. सवाल सिर्फ कोरोना पीड़तों का ही नहीं, सूबे में रहने वाले सभी लोगों की सुरक्षा का है. सीमा पार से आतंकियों की घुसपैठ कराई जाती है.
देश की सम्प्रभुता से जुड़े ऐसे मसलों पर सार्वजनिक तौर पर या कोर्ट में बहस नहीं की जा सकती. कोर्ट को इस मसले में दखल नहीं देना चाहिए.
Source : Arvind Singh