सुप्रीम कोर्ट ने रेप के बाद गर्भपात के मामले पर सुनवाई करते हुए बड़ा फैसला किया है. कोर्ट ने महिला को गर्भपात कराने की इजाजत दे दी, जो 28 हफ्तों की गर्भवती थी. सुप्रीम कोर्ट ने ये फैसला मेडिकल बोर्ड की रिपोर्ट देखने के बाद इजाजत दी है. रिपोर्ट में कहा गया था कि महिला को गर्भपात की इजाजत दी सकती है. सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि गर्भधारण किसी महिला पर बीती घटना को जिंदा रखती है. इससे महिला के दिमाग पर गहरा असर पड़ता है. पीड़ित महिला ने हाईकोर्ट के आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अपील की थी.
हाईकोर्ट रजिस्टार से पूछताछ का निर्देश
दरअसल, गुजरात हाईकोर्ट ने पीड़िता की अबॉर्शन वाली अपील 17 अगस्त को खारिज कर दी थी. इसके बाद महिला ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था. सुप्रीम कोर्ट के जज ने सुनवाई के दौरान गुजरात हाईकोर्ट पर सवाल उठाया था. कोर्ट ने कहा कि इस स्थिति में एक-एक दिन समय महत्तवपूर्ण है लेकिन मामले पर काफी समय बर्बाद कर दिया गया. कोर्ट ने कहा कि सुनवाई के 12 दिन बाद भी ऑर्डर की कॉपी अपलोड नहीं की गई. वहीं सुप्रीम कोर्ट के सेक्रेटरी को गुजरात हाईकोर्ट के रजिस्टार जनरल से मामले पर जानकारी लेने के निर्देश दिए हैं.
27 हफ्ते से अधिक के लिए इजाजत
मौजूदा कानून के मुताबिक 24 हफ्ते तक की गर्भवती गर्भपात करा सकती है वहीं किसी की प्रेगनेंसी इससे अधिक है तो उसके लिए कोर्ट से इजाजत लेनी होगी. पीड़ित महिला 27 हफ्ते और 2 दिन की प्रेगनेंट है. कोर्ट के आदेश के बाद मंगलवार को अस्पताल भेजा जाएगा. महिला ने कोर्ट से कहा कि उसके पास मेडिकल बुलेटिन था और मेडिकल बोर्ड उसकी बातों का समर्थन कर रहा था लेकिन कोर्ट ने सरकारी नियम का हवाला देकर केस खारिज कर दी. पीड़ित महिला ने हाईकोर्ट में 7 अगस्त को याचिका दायर की थी. जिसकी सुनवाई 8 अगस्त को की गई थी.
Source : News Nation Bureau