एआईकेएससीसी (AIKSCC) ने सुप्रीम कोर्ट (Supreme court) के आदेश पर प्रतिक्रिया करते हुए कहा है कि कोर्ट द्वारा सरकार को सुझाव किसानों की नैतिक जीत है. किसान हमेशा ही अपनी राय रखने के लिए तैयार रहे हैं पर अगर कोई कमेटी बनती भी है तक भी दिल्ली का आंदोलन कृषि कानूनों और बिजली बिल वापस होने तक जारी रहेगा. कमेटी का बनना तब उपयोगी होगा अगर पहले ये कानून वापस लिए जाएं और कमेटी में राष्ट्रीय व क्षेत्रीय किसान संगठनों के प्रतिनिधि प्रभावी रूप में शामिल किए जाएं तथा कमेटी कानून वापसी के बाद बने. विस्तारित राय आदेश पढ़ कर दी जाएगी.
एआईकेएससीसी (अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति) ने कहा कि प्रधानमंत्री किसानों के विपक्ष द्वारा गुमराह किए जाने के पुराने राग को अलाप रहे हैं जबकि सच यह है कि वे खुद देश को गुमराह कर रहे हैं. उन्होंने अपने पुराने स्पष्टीकरण को दोहराया है कि किसान की जमीन नहीं जाएगी, एमएसपी सरकारी खरीद जारी रहेंगे, कानून किसानों के लिए अवसर पैदा कर रहे हैं, जबकि उनके सारे कदम इसे गलत साबित करते हैं.
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कल प्रधानमंत्री ने यह गलत दावा किया कि दूध उत्पादन को गैर सरकारी निजी क्षेत्र ने बढ़ावा दिया, जबकि सरकार समर्थित सहकारी समितियों से दूध क्षेत्र बढ़ा और बाद में निजी क्षेत्र के घुसने से दूध के दाम घट गये. दो दिन पहले उन्होंने उद्योगपतियों से खेती में निवेश करने के लिए कहा था. उनके मंत्री कहते हैं कि निजी निवेश को बढ़ावा देने के लिए सरकार ने एक लाख करोड़ रूपये का आवंटन किया है. मोदी का दस्तावेज ‘पुटिंग फामर्स फर्स्ट’ कहता है कि इन कानूनों से एग्री बिजनेस के लिए अवसर खुलेंगे. इन कानूनों से मोदी सरकार किसानों को नहीं विदेशी कम्पनियों और कारपोरेट को लाभ पहुंचा रही है.
एआईकेएससीसी की वर्किंग ग्रुप ने आगामी 20 दिसंबर को सुबह 11 बजे से 1 बजे तक हर गांव में इस आन्दोलन में शहीद हुए पंजाब और हरियाणा के 30 लड़ाकुओं का श्रद्धांजलि दिवस मनाने का निर्णय लिया है.
जहां सिंघु व टिकरी, शाहजहापुर व पलवल में भागीदारी बढ़ रही है, कल गाजीपुर में भारी संख्या में लोगों के आने की उम्मीद है. एकता परिषद, महाराष्ट्र के 1000 लोग आज पलवल पहुंचेंगे व गुजरात के 100 लोग शाहजहापुर आएंगे.
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एआईकेएससीसी ने मध्य प्रदेश के कृषि मंत्री कमल पटेल द्वारा किसान आंदोलन के नेताओं के प्रति अपशब्द के इस्तेमाल की कड़ी निंदा की. सरकार ने सतना में एक खास कम्पनी का बीज खरीदने का दबाव भी किसानों पर बनाया है जिसके बिना उनकी धान की खरीद नहीं होनी थी. कल इसके विरोध के रूप में जगह-जगह प्रदेश में मंत्री के पुतले फूंके गये और सरकार को पीछे हटना पड़ा.
एआईकेएससीसी ने बारवानी के आदिवासियों द्वारा 3 कानूनों व बिजली बिल 2020 के विरोध में लगातार संचालित संघर्ष का स्वागत किया है.
एआईकेएससीसी ने सरकार द्वारा आईआरसीटीसी डाटा का दुरुपयोग कर केवल सिखों के ई-मेंल निकालकर मोदी के लिए सहानुभूति अर्जित करने वाले उन्हें पत्र भेजने की कड़ी निंदा की है और कहा है कि यह किसान आंदोलन को धर्म के आधार पर बांटने के लिए है. प्रधानमंत्री के तौर पर यह अनैतिक कृत्य है.
Source : News Nation Bureau