बाबरी विध्वंस मामले पर सुप्रीम कोर्ट ने अहम फैसला सुनाते हुए कोर्ट ने कहा कि आडवाणी, जोशी, उमा भारती समेत 13 लोगों पर आपराधिक साजिश का केस चलेगा।
इससे पूर्व 6 अप्रैल को आदेश सुरक्षित रखते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि हम इस मामले में इंसाफ़ करना चाहते हैं। महज़ टेक्निकल ग्राउंड पर इनको राहत नहीं दी जा सकती और उनके खिलाफ साज़िश का ट्रायल चलना चाहिए।
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वहीं आडवाणी की ओर से दोबारा ट्रायल पर आपत्ति जताते हुए कहा गया था कि मामले में 183 गवाहों को फिर से बुलाना होगा, जो काफ़ी मुश्किल है।
सीबीआई ने सुप्रीम कोर्ट में इन नेताओं के ख़िलाफ़ आपराधिक साज़िश का ट्रायल चलाए जाने की मांग की थी। साथ ही साज़िश की धारा हटाने के इलाहाबाद हाइकोर्ट के फ़ैसले को रद्द किया जाना चाहिए।
- दरअसल 1992 में बाबरी मामले में बीजेपी नेता लालकृष्ण आडवाणी, यूपी के तत्कालीन मुख्यमंत्री कल्याण सिंह, मुरली मनोहर जोशी, विनय कटियार, साध्वी रितंभारा, सतीश प्रधान, चंपत राय बंसल और स्वर्गीय गिरिराज किशोर और बीजेपी, विहिप के अन्य नेताओं पर से आपराधिक साजिश रचने के आरोप हटाए जाने के मामले में सुप्रीम कोर्ट सुनवाई कर रहा था।
- पिछली सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि महज टेक्निकल ग्राउंड पर इनको राहत नहीं दी जा सकती और इनके खिलाफ साजिश का ट्रायल चलना चाहिए।
- वहीं इससे संबंधित अपीलों में इलाहाबाद हाईकोर्ट के 20 मई 2010 के आदेश को खारिज करने का आग्रह किया गया। हाईकोर्ट ने विशेष अदालत के फैसले की पुष्टि करते हुए भारतीय दंड संहिता की धारा 120बी (आपराधिक साजिश) हटा दी थी।
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- पिछले साल सितंबर में सीबीआई ने शीर्ष अदालत से कहा था कि उसकी नीति निर्धारण प्रक्रिया किसी से भी प्रभावित नहीं होती और वरिष्ठ भाजपा नेताओं पर से आपराधिक साजिश रचने के आरोप हटाने की कार्रवाई सीबीआई के कहने पर नहीं हुई।
- सीबीआई ने एक हलफनामे में कहा था कि सीबीआई की नीति निर्धारण प्रक्रिया पूरी तरह स्वतंत्र है. सभी फैसले मौजूदा कानून के आलोक में सही तथ्यों के आधार पर किए जाते हैं।
- किसी शख्स, निकाय या संस्था से सीबीआई की नीति निर्धारण प्रक्रिया के प्रभावित होने या अदालतों में मामला लड़ने के उसके तरीके के प्रभावित होने का कोई सवाल नहीं है।
बाबरी मस्जिद ढहाए जाने के मामले में दो अलग-अलग अदालतों में चल रही सुनवाई एक जगह क्यों न हो?
- कोर्ट ने पूछा था कि रायबरेली में चल रहे मामले की सुनवाई को क्यों न लखनऊ ट्रांसफर कर दिया जाए, जहां कारसेवकों से जुड़े एक मामले की सुनवाई पहले से ही चल रही है।
- वहीं लालकृष्ण आडवाणी की ओर से इसका विरोध किया गया। कहा गया कि इस मामले में 183 गवाहों को फिर से बुलाना पड़ेगा जो काफी मुश्किल है। कोर्ट को साजिश के मामले की दोबारा सुनवाई के आदेश नहीं देने चाहिए।
- सीबीआई ने कहा था कि रायबरेली के कोर्ट में चल रहे मामले को भी लखनऊ की स्पेशल कोर्ट के साथ ज्वाइंट ट्रायल होना चाहिए। इलाहाबाद हाईकोर्ट के साजिश की धारा को हटाने के फैसले को रद्द किया जाए।
- इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने रोजाना सुनवाई के आदेश दिए हैं, साथ ही कोर्ट ने कहा कि लखनऊ स्पेशल कोर्ट इस केस की सुनवाई 2 साल में पूरी करे। वहीं केस को रायबरेली से लखनऊ ट्रांसफर करने के लिए 4 हफ्ते का वक़्त दिया गया है।
इससे पहले सुनवाई रायबरेली में हो रही थी, पर अब इससे आगे की सुनवाई लखनऊ कोर्ट में होगी। सुप्रीम कोर्ट ने इस दौरान मामले की सुनवाई कर रहे जजों के तबादले पर रोक लगा दी गई है और सीबीआई को आदेश दिया है कि इस मामले में रोज उनका वकील कोर्ट में मौजूद रहे।
बता दें कि यूपी के पूर्व मुख्यमंत्री मौजूदा वक्त में राजस्थान के राज्यपाल कल्याण सिंह पर केस नहीं चलेगा। संवैधानिक पद पर होने की वजह से उन्हें केस से छूट दी गई है। संवैधानिक पद से हटने के बाद उन पर केस चल सकता है।
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- HIGHLIGHTS
- बाबरी विध्वंस मामले पर सुप्रीम कोर्ट ने अहम फैसला सुनाते हुए कोर्ट ने कहा कि आडवाणी, जोशी, उमा भारती समेत 13 लोगों पर आपराधिक साजिश का केस चलेगा।
- आडवाणी, जोशी, उमा भारती समेत 13 लोगों पर आपराधिक साजिश का केस।
- राजस्थान के राज्यपाल कल्याण सिंह पर केस नहीं चलेगा।
- सुप्रीम कोर्ट ने रोजाना सुनवाई के आदेश दिए हैं, साथ ही कोर्ट ने कहा कि लखनऊ स्पेशल कोर्ट इस केस की सुनवाई 2 साल में पूरी करे।
Source : News Nation Bureau