आज भारत (India) के लिए अपने सैनिकों (Soldiers) पर गर्व करने का मौका है. तीन साल पहले 29 सितंबर 2016 को भारतीय सेना (Indian army) ने पाकिस्तान (Pakistan) में घुसकर उसे ऐसा सबक सिखाया था कि पाकिस्तान आज भी भारत की ओर नजर उठाने से घबराता है और ये डर सताता है कि कहीं भारत फिर से कोई सर्जिकल स्ट्राइक (Surgical Strike) कर दे. बता दें कि भारतीय फौज (Indian Amry) और पैरामिलिट्री के जवानों ने पाकिस्तान में घुसकर सर्जिकल स्ट्राइक(surgical strike) कर उरी हमले के शहीदों का बदला लिया था.
यह दिन भारतीय सेना के इतिहास में काफी महत्व इसलिए रखता है क्योंकि इसमें भारतीय सेना के जवानों की जान गई थी और भारत ने इस हमले को काफी गंभीरता से लिया था. भारतीय सेना ने एलओसी (LoC) पार कर पाक अधिकृत कश्मीर (PoK) में घुसकर आतंकियों को मौत के घाट उतार दिया था. जिसके बाद भारत ने पाकिस्तान से पूछा था - How is the Josh?
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दरअसल पाकिस्तान की ट्रेनिंग कैंपों से ट्रेनिंग लेकर भारत में घुसे आतंकवादियों ने 18 सितम्बर 2016 को सुबह साढ़े 5 बजे उरी सेक्टर (Uri Sector) के पास स्थित आर्मी हेडक्वार्टर (Army Headquarter) पर हमला कर दिया था. आतंकियों की योजना थी कि निहत्थे और सोते हुए जवानों पर ताबड़तोड़ फायरिंग कर ज्यादा से ज्यादा जवानों को मौत के घाट उतार दिया जाए. बता दें कि आतंकी अपने इस प्लैन में कुछ हद तक सफल भी हो गए थे क्यों कि इस हमले में भारतीय सेना के 18 जवान शहीद हो गए. हालांकि बाद में चारों आतंकियों को सेना के जवानों ने मार गिराया. जिसके बाद तो भारत सरकार ने इस हमले को बहुत गंभीरता से लिया और आतंकियों पर Surgical Strike करने का फैसला लिया गया.
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इस दौरान मौके पर मारे गए आतंकियों के पास सेजीपीएस सेट्स से हमलावरों के तार का पाकिस्तान से जुड़े होने का पता चला था. उरी आतंकी हमले के बाद पकड़े गए दो स्थानीय गाइड्स ने बताया कि पाकिस्तानी सेना ने हमलावरों को घुसपैठ में मदद की थी.
उरी आतंकी हमले के तीन दिन बाद 21 सितंबर 2016 को तत्कालीन भारतीय विदेश सचिव एस. जयशंकर ने पाक उच्चायुक्त अब्दुल बासित को बुलाया. साथ ही उन्हें उरी हमले में पाकिस्तान की संलिप्तता के पूरे सबूत दिखाए गए जिसे इस्लामाबाद ने खारिज कर दिया और पाकिस्तान की ओर से कहा गया कि उसे इस बारे में कोई जानकारी नहीं है. साथ ही ये संदेश भी भेजा गया कि पाकिस्तान का इन हमलों में कोई हाथ नहीं है.
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बस इसी घटना के बाद तैयार हुई Surgical Strike की blueprint जिसमें तत्कालीन सेनाध्यक्ष जनरल दलबीर सिंह सुहाग और डीजीएमओ लेफ्टिनेंट जनरल रणबीर सिंह ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल एक कमरे में बैठकर इस काम को करने की योजना बनाई.
हालांकि पाकिस्तान को भी भारत की ओर से कोई कार्रवाई का पता चल गया और इस्लामाबाद ने एलओसी और अंतरराष्ट्रीय बॉर्डर पर अपने रडार सिस्टम को सक्रिय कर दिया. साथ ही पाकिस्तान ने जम्मू-कश्मीर और पंजाब के नभक्षेत्र पर नजर रखने के लिए एयरबॉर्न-वारनिंग एंड कंट्रोल एयरक्राफ्ट (स्वीडिश साब 2000) की तैनाती भी कर दी थी. हालांकि पाकिस्तान को अभी तक ये नहीं पता था कि अब भारत का अगला कदम क्या होगा.
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आखिरकार शुरू हुई सर्जिकल स्ट्राइक
28-29 सितंबर की रात 150 कमांडोज की मदद से Surgical Strikeको अंजाम दिया. ये पहला मौका था जब आतंकियों के खिलाफ लाइन ऑफ कंट्रोल पार कर सेना ने ऑपरेशन को अंजाम दिया. भारतीय सेना के जवान पूरी प्लानिंग के साथ 28-29 सितंबर की आधी रात पीओके में 3 किलोमीटर तक अंदर घुसे और आतंकियों के ठिकानों को तहस-नहस कर डाला.
28 सितंबर की आधी को पीएम ऑफिस में पीएम मोदी की नींद उड़ी हुई थी. रात घड़ी में 12 बज रहे थे. MI 17 हेलिकॉप्टरों के जरिए 150 कमांडोज को LoC के पास उतार दिया. यहां से 4 और 9 पैरा के 25 कमांडोज ने एलओसी पार की और पीओके में सर्जिकल स्ट्राइक को अंजाम दिया.
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कमांडोज ने वहां घुसकर बिना मौका गंवाए आतंकियों पर ग्रेनेड से हमला कर दिया. भारतीय सेना के जवान अफरा-तफरी फैलते ही स्मोक ग्रेनेड के साथ ताबड़तोड़ फायरिंग करते रहे. देखते ही देखते जवानों ने कुल 38 आतंकवादियों को मौत के घाट उतार दिया. हमले में Pakistani Army के 2 जवान भी मारे गए. इस ऑपरेशन में हमारे 2 पैरा कमांडोज भी लैंड माइंस की चपेट में आने से घायल हुए थे. रात साढ़े 12 बजे शुरू हुआ ये ऑपरेशन सुबह साढ़े 4 बजे तक चला. सर्जिकल स्ट्राइक को अंजाम देने के बाद भारतीय सेना के जवान भारत की सीमा में सुरक्षित वापस आ गए.
HIGHLIGHTS
- आज सर्जिकल स्ट्राइक को पूरे हुए तीन साल.
- आज के दिन ही पाकिस्तान में घुसकर आतंकियों को धूल चटाई थी.
- इस सफल हमले में Pakistani Army के 2 जवान भी मारे गए.
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