शुक्रवार को सर्जिकल स्ट्राइक के एक साल पूरे हो गए हैं। भारतीय सेना ने 28-29 सितंबर 2016 की रात को ही पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर में आतंकवादी लांच पैड्स पर सर्जिकल स्ट्राइक किया था। हालांकि सर्जिकल स्ट्राइक के बावजूद जम्मू-कश्मीर बॉर्डर के पास घुसपैठ की घटना कम नहीं हुई है।
ऐसे में सवाल उठता है कि क्या भारत भविष्य में दोबारा सर्जिकल स्ट्राइक कर सकता है। थल सेना प्रमुख बिपिन रावत ने इस बारे में सोमवार (25 सितंबर) को मीडिया से बातचीत के दौरान इस बात का खुलासा किया।
उन्होंने पाकिस्तानी हुक्मरानों को कड़ा संदेश देते हुए कहा कि कि जरूरत पड़ने पर नियंत्रण रेखा के पार स्थित आतंकवादी शिविरों पर भारत दोबारा सर्जिकल स्ट्राइक कर सकता है।
रावत ने कहा, 'सर्जिकल स्ट्राइक एक संदेश था, जो हम उन्हें देना चाहते थे और वे वह समझ गए हैं जो हमारा मतलब था कि चीजें जरूरत पड़ने पर दोहराई जा सकती हैं।'
सेना प्रमुख रावत ने कहा कि सीमापार से घुसपैठ जारी रहेगी क्योंकि नियंत्रण रेखा के पार स्थित वे शिविर अभी भी सक्रिय हैं जहां से आतंकवादी भेजे जाते हैं। उन्होंने चेतावनी दी कि सेना आतंकवादियों को कब्रों में भेजने के लिए तैयार है।
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जनरल रावत ने कहा, 'सरहद के उस पार जो आतंकवादी हैं, वो तैयार बैठे हैं। हम भी उनके लिए इस तरफ तैयार बैठे हैं। वो आतंकवादी इधर आएंगे और हम उन्हें रिसीव करके, ढाई फुट जमीन के नीचे भेजते रहेंगे।'
ज़ाहिर है आतंकवाद को लेकर भारत का स्टैंड हमेशा से ही काफी सख़्त रहा है। ख़ासकर मोदी सरकार के कार्यकाल में देखा जाए तो भारत आतंकवाद के मुद्दे पर पाकिस्तान के ख़िलाफ़ काफी उग्र नजर आता है। जानकार बताते हैं कि सेना सर्जिकल स्ट्राइक या उसके जैसी किसी दूसरे ऑपरेशन को भी अंजाम दे सकती है।
मोदी सरकार के दौरान अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भी पाकिस्तान को कई बार घेरने की कोशिश की गई है। हालांकि एक सच ये भी है कि इन प्रयासों के बावजूद अब तक आतंकी घटनाओं में कोई कमी नहीं आई है। बल्कि हाल के दिनों में घुसपैठ की घटनाएं काफी बढ़ गई है।
यूपीए-2 के आख़िरी तीन साल के कार्यकाल और बीजेपी के तीन साल के कार्यकाल का मुल्यांकन करें तो पाएंगे कि मई 2014 के बाद से आतंकी घटनाओं की वजह से मौत की संख्या में लगभग 42% बढ़ोतरी हुई है। वहीं मरने वाले सुरक्षाकर्मियों की संख्या में भी लगभग 72% बढ़ोतरी हुई है।
यूपीए-2 के आख़िरी तील साल के कार्यकाल के दौरान 111 सुरक्षाकर्मी शहीद हुए थो जो एनडीए सरकार के कार्यकाल के दौरान बढ़कर 191 पर पहुंच गया है।
अब सवाल ये उठता है कि सर्जिकल स्ट्राइक के बाद विश्व के सामने भारत की कैसी छवि स्थापित होगी ? इस बारे में रावत का कहना है, 'सर्जिकल स्ट्राइक ने संदेश दिया कि हम एक ताकतवर देश हैं और समय आने पर फैसला करने में सक्षम हैं।'
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पूर्व सेना प्रमुख जनरल (रिटायर्ड) दलबीर सिंह ने भी इसी तरह के विचार जताते हुए कहा कि इससे विदेश में भारत की छवि बेहतर हुई है।
बता दें कि भारतीय सेना ने बुधवार रात (28-29 सितंबर 2016) पाकिस्तान में घुसकर सर्जिकल स्ट्राइक को अंजाम देते हुए 7 आतंकी शिविरों को ध्वस्त कर दिया था। साथ ही 38 आतंकियों को भी मार गिराया था।
सर्जिकल स्ट्राइक क्या है?
सर्जिकल स्ट्राइक सेना के द्वारा किया जानेवाला एक विशेष प्रकार का हमला होता है। इस हमले में सबसे पहले रणनीति तैयार की जाती है। इसमें समय, स्थान, कमांडोज की संख्या का विशेष तौर पर ख्याल रखा जाता है।
इस अभियान की जानकारी बेहद गोपनीय रखी जाती है जिसकी सूचना सिर्फ चुनिंदा लोगों तक ही होती है।
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इस कार्रवाई में एक से अधिक सैन्य लक्ष्यों को नुक्सान पहुंचाया जाता है और उसके बाद हमला करने वाली सैनिक इकाई तुरंत वापस लौट आती है। इस तरह की कार्रवाई में प्रयास किया जाता है कि गैर-सैनिक ठिकानों, जैसे- आसपास की इमारतें, बिल्डिंग, वाहन या सार्वजनिक आधारभूत संरचनाओं को कम से कम नुकसान पहुंचे।
दूसरे शब्दों में, सर्जिकल स्ट्राइक सटीक सैन्य कार्रवाई का एक रूप है। यदि इस प्रकार के आक्रमण में वायु-बल का इस्तेमाल किया जाता है तो उसमें भी यह कोशिश की जाती है कि सटीक बमबारी की जाए जिसमें आस-पास की सुविधाएं कम से कम क्षतिग्रस्त हों। 2003 में इराक युद्ध की शुरुआत में बगदाद की बमबारी एक सर्जिकल स्ट्राइक का उपयुक्त उदाहरण है।
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Source : Deepak Singh Svaroci