पूर्व विदेश मंत्री सुषमा स्वराज का निधन हो गया है. मंगलवार रात को उन्हें कार्डिएक अरेस्ट हुआ जिसके बाद उन्हें एम्स लाया गया, लेकिन उन्हें बचाया नहीं जा सका. ऐसे में ये जानना जरूरी है कि आखिर कार्डिएक अरेस्ट है क्या? कई बार लोग कार्डिएक अरेस्ट को दिल का दौरा पड़ना ही समझ लेते हैं लेकिन ऐसा नहीं हैं. आईए समझते हैं क्या है कार्डिएक अरेस्ट और ये दिल का दौरा यानी हार्ट अटैक से कैसे अलग हैं?
दरअसल कार्डिएक अरेस्ट अचानक होता है और होने से पहले शरीर की तरफ से कोई चेतावनी भी नहीं मिलती. जब भी कार्डिएक अरेस्ट होता है तो ये दिल की पम्प करने की क्षमता को सबसे ज्यादा प्रभावित करता है जिससे वो दिमाग, दिल या शरीर के दूसरे हिस्सों में खून नहीं पहुंचा पाता.
कार्डिएक अरेस्ट होने से मरीज बेहोश हो जाता है. इससे कुछ ही सेकेंड या मिनटों में मरीज की मौत हो सकती है लेकिन अगर सही वक्त पर इलाज मिल जाए तो उन्हें बचाया जा सकता है. दरअसल अगर किसी मरीज को कार्डिएक अरेस्ट आने के तुरंत बाद छाती में इलेक्ट्रिक शॉक दिया जाए तो उन्हें बचाया जा सकता है. इलेक्ट्रिक शॉक देने के लिए डिफ़िब्रिलेटर टूल का इस्तेमाल होता है. लेकिन अगर कार्डिएक अरेस्ट आने के दौरान डिफ़िब्रिलेटर टूल आपके पास न हो तो cpr के जरिए मरीज की जान बचाई जा सकती है. सीपीआर के जरिए मरीज की छाती पर दोनों हाथों को सीधा रखते हुए जोर से दबाव दिया जाता है. इसमें मुंह के जरिए हवा भी पहुंचाई जाती है.
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हार्ट अटैक से कैसे अलग कार्डिएक अरेस्ट
दरअसल दिल का दौरा तब पड़ता है जब कोरोनरी आर्टिरी में थक्का जमने की वजह से दिल की मांसपेशियों तक ख़ून जाने के रास्ते में रुकावट आ जाए. इसमें छाती में तेज दर्द होता है. हालांकि इसमें शरीर के बाकी हिस्सों में खून पहुंचता रहता है और मरीज होश में भी रहता है. कार्डिएक अरेस्ट की तुलना में हार्ट अटैक के मरीजों को बचाने की संभावना ज्यादा रहती है क्योंकि हार्ट अटैक में दिल की धड़कन बंद नहीं होती. लेकिन कई बार हार्ट अटैक के दौरान मरीज को कार्डिएक अरेस्ट आने का खतरा भी बना रहता है.
Source : News Nation Bureau