पूर्व विदेश मंत्री और बीजेपी की वरिष्ठ नेता सुषमा स्वराज का मंगलवार को निधन हो गया है. पिछले कुछ महीनों से सुषमा स्वराज बीमार चल रही थीं. सुषमा स्वराज ने 67 साल की उम्र में दिल्ली स्थित एम्स (AIIMS) में आखिरी सांस ली. वे मोदी सरकार में 2014 से लेकर 2019 तक विदेश मंत्री रहीं. उनका कार्यकाल बेहद शानदार रहा. उन्होंने ट्वीट के माध्यम से कई लोगों की मदद की थी. सीरिया और इराक में फंसे कई लोगों को मदद की थीं.
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120 भारतीय वॉर जोन में फंसे थे. जिसमें बंधकों के अलावा 46 नर्सें अस्पताल में फंसी थीं. लेकिन अस्पताल की बिजली बहाल हो गई थी और नर्सों को खाना भी मिल रहा था. सरकार की ओर से साफ किया गया है कि किसी भी देशवासी को इराक से बाहर निकालने मे पैसे की कमी आड़े नहीं आने दी जाएगी. उन्हें सरकारी मदद दी जाएगी. इसके अलावा वार जोन में फंसे भारतीय किसी भी बंदरगाह के करीब भी पहुंच जाते हैं या फिर दूसरे देश की सीमा में भी निकल जाते हैं तो उन्हें लाने की व्यवस्था की जाएगी.
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अकबरुद्दीन ने कहा था कि कुछ भारतीयों को सुरक्षित निकाल लिया गया. जहां तक 46 नर्सों का सवाल है तो उन्हें बिजली और खाना मुहैया कराया जा रहा था. भारत सरकार उनके संपर्क में थी. सुषमा ने बताया था कि वह पहले भी कहती रही हैं कि सबूत न मिलने तक वह इराक में अपहृत भारतीयों को मृत घोषित नहीं करेंगी. उन्होंने बाद में कहा कि अब सबूत मिल गए हैं. बहुत दुख के साथ मैं सदन को यह सूचना दे रही हूं कि इराक़ में अपहृत 39 भारतीय मारे गए.
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उन्होंने बताया कि जब मोसुल पर आईएसआईएस ने क़ब्ज़ा किया था तब ज़्यादातर इराक़ी शहर से चले गए लेकिन भारतीय और बांग्लादेशी कामगार वहीं रहे. विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने बताया कि एक कैटरर से पता चला कि आईएसआईएस ने इन भारतीयों को दोपहर का खाना खाकर लौटते समय पकड़ा और पहले इन लोगों को कपड़ा फैक्ट्री में रखा गया. वहां से बांग्लादेशी कामगारों को अलग कर उन्हें अरबिल शहर भेज दिया गया.
Source : News Nation Bureau