'हम वादा करते हैं इस बेटी को बोझ नहीं बनने देंगे. इसकी शादी, पढ़ाई की सारी जिम्मेदारी हमारी होगी. आगे आइए और इसे गले लगाइए.'
ये शब्द सुषमा स्वराज ने उस किशोरी लड़की गीता के लिए कहे थे जो कई साल पहले भटकते-भटकते पाकिस्तान पहुंच गई थी. ये लड़की मूक-बधिर थी जिसे वापस लाने के लिए सुषमा स्वराज ने अपनी पूरी ताकत लगा दी थी. इसके बाद एक तस्वीर भी सामने आईं थी जिसमें सुषमा स्वराज गीता से गले मिलते हुए दिखी थी. ये तस्वीर आज भी लोगों के जहन में ताजा है. इसके अलाव सुषमा स्वराज ने गीता के माता-पिता को ढूंढने में भी काफी जद्दोजहद की थी. यहां तक उन्होंने ऐलान कर दिया था कि जो भी कोई गीता के माता-पिता को ढूंढकर लाएगा, उन्हें 1 लाख रुपए दिया जाएगा. मूक-बधिर गीता के भारत लौटने पर कई लोगों ने उसके माता-पिता होने का दावा किया था, लेकिन उनके दावों की पुष्टि नहीं हो पाई थी.
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एक बार सुषमा स्वराज ने कहा था कि जब भी मैं गीता से मिलती हूं तो वो शिकायत करती है और कहती है कि मैडम किसी तरह मेरे मां-बाप को ढूंढ दो. सुषमा स्वराज ने सबसे पहले गीता के परिजनों से अपील करते हुए कहा था कि जो भी गीता के मां-बाप हों सामने आएं. सुषमा स्वराज का गीता के साथ कुछ ऐसा लगाव हो गया था कि जब भी वह उससे मिलने जातीं तो खूब साके तोहफे लेकर पहुंचतीं. सुषमा स्वराज उसके स्वाथ्य और पढ़ाई के बारे में भी समय-समय पर जानकारी लेती रहती थीं.
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गीता के अलावा भी सुषमा स्वराज ने कई जरूरतमंदों की मदद की थी. विदेश मंत्री रहते हुए उन्होंने अपने ट्विटर को लोगों की मदद का जरिया बना लिया था. मुसीबत में फंसे देश-विदेश के लोग सुषमा स्वराज से मदद की गुहार लगाते और वह बिना किसी देरी के उनकी मदद करती. आज जब सुषमा स्वराज नहीं रहीं तो दुनियाभर में लोग शोक में डूबे हुए हैं और सोशल मीडिया पर शोक व्यक्त कर रहे हैं.