समाजवादी पार्टी के वरिष्ठ नेता और पूर्व कैबिनेट मंत्री स्वामी प्रसाद मौर्य ने एक बार फिर विवादित बयान देकर माहौल गरमा दिया है. कासगंज में आयोजित एक कार्यक्रम में स्वामी प्रसाद मौर्य ने कहा कि कारसेवकों पर गोली चलाना तत्कालीन सरकार का सही फैसला था. उस समय की सरकार ने संविधान और कानून की रक्षा के लिए अराजकतावादियों पर गोली चलाने की अनुमति दे दी थी, जो उस समय की सरकार द्वारा लिया गया एक बहुत ही सही निर्णय था और सरकार ने अपना सही कर्तव्य निभाया था.
अमन- चैन के लिए चलवाई गईं थीं गोलियां
मौर्य ने आगे कहा कि जिस वक्त कारसेवकों पर गोली चलाने का आदेश जारी हुआ था, उस वक्त की सरकार ने अपना कर्तव्य बखूबी निभाया था. उस समय सरकार अपना काम कर रही थी. उन्होंने आगे कहा कि जब अयोध्या में राम मंदिर की घटना हुई तो बिना किसी न्यायिक या प्रशासनिक आदेश के अराजक तत्वों द्वारा बड़े पैमाने पर तोड़फोड़ की गई. इस पर तत्कालीन सरकार ने संविधान एवं कानून की रक्षा तथा अमन-चैन कायम रखने के लिए गोली चलवाई थी.
मुलायम सिंह ने दिया था आदेश
आपको बता दें कि आज से ठीक 33 साल पहले साल 1990 में अयोध्या में हनुमान गढ़ी जा रहे कारसेवकों पर गोलियां चलाई गई थीं. उस समय उत्तर प्रदेश में सपा की सरकार थी. मुलायम सिंह यूपी के सीएम थे. उन दिनों प्रशासन ने अयोध्या में पूर्ण कर्फ्यू लगा दिया था. इसके चलते श्रद्धालुओं को प्रवेश नहीं दिया जा रहा है. लेकिन फिर भी साधु संत अयोध्या की ओर जा रहे थे. बाबरी मस्जिद के 1.5 किलोमीटर के इलाके में भारी पुलिस बल की तैनाती थी, पुलिस ने पूरे इलाके को बैरिकेड्स से घेर लिया था.
इस दौरान भीड़ इतनी बेकाबू हो गई कि पुलिस भीड़ को नियंत्रित नहीं कर पाई. 30 अक्टूबर 1990 को पहली बार कारसेवकों पर गोलियां चलाई गईं. उस दौरान गोली लगने से पांच कारसेवकों की मौत हो गई थी. आपको बता दें कि भीषण फायरिंग के ठीक दो दिन बाद 2 नवंबर को हजारों की संख्या में कारसेवक हनुमान गढ़ी पर पहुंच गए थे.
Source : News Nation Bureau