Rafale Deal पर Supreme Court में चल रही सुनवाई के दौरान कोर्ट ने वायुसेना के अधिकारी की मौजूदगी पर बल दिया. कोर्ट ने कहा, वायुसेना का अधिकारी कोर्ट में होना चाहिए और हम उनकी रिक्वायरमेंट के बारे में विचार कर रहे हैं. कोर्ट ने कहा कि हमें मंत्रालय का अधिकारी नहीं चाहिए, अधिकारी को बुलाया गया है. दोपहर बाद Supreme Court में चल रही सुनवाई के दौरान एयर वाइस मार्शल टी. चलापत्ती कोर्ट में पेश हुए. मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई से उनका परिचय कराया गया. इस दौरान सुप्रीम कोर्ट ने एयर वाइस मार्शल से कुछ सवाल पूछे.
सुप्रीम कोर्ट : वायुसेना को अंतिम बार कब एयरक्राफ्ट मिले थे?
Air Vice Marshal : एयरफोर्स के अधिकारी ने कहा, हमें पांचवीं पीढ़ी के एयरक्राफ्ट चाहिए. 1985 में मिराज के बाद से वायु सेना ने कोई एयरक्राफ़्ट बेड़े में नहीं जोड़ा गया.
सरकार ने कही ये बातें
- यह मामला एक्सपर्ट का है. कोर्ट को इस मामले को डील नहीं करना चाहिए.
- ‘प्राइसिंग डिटेल पहले ही सीलबंद कवर में कोर्ट को सौंपी जा चुकी है. लेकिन इंटर गवर्नमेंट एग्रीमेंट के अनुसार, कुछ मामलों में सबकुछ बताना संभव नहीं है.
- राफेल का मूल्य इसके फीचर के हिसाब से तय किए गए हैं, जो कोर्ट में रखे जा चुके हैं. उन्होंने यह भी कहा कि कोर्ट इसकी न्यायिक समीक्षा नहीं कर सकती.
प्रशांत भूषण ने कहा
सरकार संसद में दो बार एयरक्राफ्ट की कीमत बता चुकी है, फिर यहां कीमत को लेकर गोपनीयता क्यों बरती जा रही है.
कैसे 126 लड़ाकू विमानों से घटकर केवल 36 विमानों का सौदा हुआ. यह फैसला किसने लिया और किस आधार पर प्रधानमंत्री ने 36 राफेल विमानों के सौदे की घोषणा की?
मामला सीबीआई को सौंपा जाना चाहिए और सीबीआई को पक्षपातरहित जांच करनी चाहिए. हमने मामले की सीबीआई में शिकायत की पर अब तक कोई कार्रवाई नहीं हुई है.
सरकार का कहना है कि ऑफसेट पार्टनर चुनने में उनकी कोई भूमिका नहीं है, जबकि नियम और प्रक्रिया यह है कि आफसेट पार्टनर के नाम को रक्षा मंत्री की मंजूरी जरूरी होती है.
CJI रंजन गोगोई ने कहा
- राफेल डील की कीमत पर चर्चा तभी होगी, जब कोर्ट चाहेगा कि इसके सार्वजनिक होने से कोई दिक्कत नहीं है.
- क्या कोर्ट में एयरफोर्स का कोई अधिकारी उपस्थित है, जो सवालों का जवाब दे सके. आखिरकार यह डील एयरफोर्स से ही संबंधित है. एयरफोर्स के अफसर से इस डील पर सवाल पूछना ज्यादा अच्छा रहेगा.
Source : News Nation Bureau