तालिबान का कश्मीर पर पुरजोर दावा, मुसलमानों के लिए आवाज उठाने का हक

तालिबान (Taliban) के राजनीतिक कार्यालय के प्रवक्ता सुहैल शाहीन ने कहा है कि समूह को कश्मीर (Kashmir) सहित कहीं भी मुसलमानों के लिए आवाज उठाने का अधिकार है.

author-image
Nihar Saxena
एडिट
New Update
Suhail Shaheen

तालिबान के प्रवक्ता सुहैल शाहीन ने कश्मीर पर दिया सधा बयान.( Photo Credit : न्यूज नेशन)

Advertisment

दोहा में तालिबान (Taliban) के राजनीतिक कार्यालय के प्रवक्ता सुहैल शाहीन ने कहा है कि समूह को कश्मीर (Kashmir) सहित कहीं भी मुसलमानों के लिए आवाज उठाने का अधिकार है. जियो न्यूज की रिपोर्ट में यह कहा गया. बीबीसी उर्दू के साथ जूम इंटरव्यू में शाहीन ने यह भी कहा कि तालिबान की किसी देश के खिलाफ हथियार उठाने की नीति नहीं है. जियो न्यूज के अनुसार उन्होंने कहा, मुसलमान होने के नाते हमें कश्मीर या किसी अन्य देश में मुसलमानों के लिए अपनी आवाज उठाने का अधिकार है. शाहीन के अनुसार, हम अपनी आवाज उठाएंगे और कहेंगे कि मुसलमान आपके अपने लोग हैं. आपके अपने नागरिक हैं. वे आपके कानूनों के तहत समान अधिकारों के हकदार हैं.

हक्कानी इस्लामी अमीरात का हिस्सा नहीं
हक्कानी नेटवर्क पर एक सवाल के जवाब में प्रवक्ता ने कहा कि ऐसा कोई समूह नहीं है और वे अफगानिस्तान के इस्लामी अमीरात का हिस्सा हैं. रविवार को जियो न्यूज के साथ एक साक्षात्कार में शाहीन ने कहा था कि 31 अगस्त के बाद वॉशिंगटन को अफगानिस्तान पर हमला करने का कोई अधिकार नहीं होगा, जब उसके सैनिकों की वापसी पूरी हो जाएगी. एक समाचार तार के अनुसार काबुल हवाई अड्डे पर एक आत्मघाती बम विस्फोट के एक दिन बाद अमेरिका ने पूर्वी अफगानिस्तान में दाएश हमले के योजनाकार के खिलाफ एक ड्रोन हमला शुरू किया था.

यह भी पढ़ेंः बाइडन का काबुल छोड़ने का फैसला अमेरिकियों को नहीं आया रास, घटाई अप्रूवल रेटिंग 

चीन को बताया विकास में साझेदार
जियो न्यूज ने कहा कि एक सवाल के जवाब में कि क्या अमेरिका ने तालिबान की सहमति से ड्रोन हमला किया था. शाहीन ने कहा था कि तालिबान के नेतृत्व वाली सरकार 31 अगस्त के बाद अफगानिस्तान में इस तरह के किसी भी हमले को रोक देगी. इससे पहले 19 अगस्त को शाहीन ने चीन के सीजीटीएन टेलीविजन को दिए इंटरव्यू में कहा था कि चीन भविष्य में अफगानिस्तान के विकास में योगदान दे सकता है.

यह भी पढ़ेंः तालिबान की आज बनेगी सरकार, जुमे की नमाज के बाद होगा ऐलान

भारत की आने वाले समय में बढ़ेंगी मुश्किलें
अमेरिका के नेतृत्व में 2001 में तालिबान को बाहर निकाला गया था. इससे पहले भारत ने नॉर्दन अलायंस का समर्थन किया था, जो तालिबान के ख़िलाफ़ था. अब 20 साल बाद पाकिस्तान समर्थित तालिबान का फिर से सत्ता में आना भारत के लिए चिंता का विषय है, क्योंकि अशरफ़ ग़नी की सरकार के साथ भारत के अच्छे संबंध थे. भारत ने अफ़ग़ानिस्तान में ढांचागत योजनाओं में करोड़ों का निवेश कर ख़ुद को एक सॉफ़्ट पावर की तरह स्थापित करने की कोशिश की, लेकिन अब तालिबान के वापस लौटने के बाद डर है कि ये निवेश बेकार हो जाएंगे. 31 अगस्त को तालिबान के साथ हुई पहली आधिकारिक बातचीत में भारत ने अपनी चिंताएं तालिबान के दोहा ऑफ़िस में शेर मोहम्मद अब्बास स्तानकज़ई से साझा की थीं. 

HIGHLIGHTS

  • तालिबान की किसी देश के खिलाफ हथियार उठाने की नीति नहीं
  • सुहैल शाहीन ने कहा दुनिया मुसलमानों के लिए आवाज उठाने का हक
  • सभी देश अपने कानूनों के तहत दें मुसलमालों को समान अधिकार

 

INDIA afghanistan taliban भारत kashmir जम्मू-कश्मीर अफगानिस्तान Indian Muslims अधिकार तालिबान भारतीय मुस्लिम Claims Suhail Shaheen सुहैल शाहीन
Advertisment
Advertisment
Advertisment