रूस के साथ मिलकर पांचवीं पीढ़ी का फाइटर जेट बनाएगा भारत

पांचवीं पीढ़ी के लड़ाकू विमान (एफजीएफए) के विकास की परियोजना अटक गई है, लेकिन इसपर बातचीत का दौर जारी है।

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Vineeta Mandal
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रूस के साथ मिलकर पांचवीं पीढ़ी का फाइटर जेट बनाएगा भारत

लड़ाकू विमान (प्रतिकात्मक चित्र)

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पांचवीं पीढ़ी के लड़ाकू विमान (एफजीएफए) के विकास की परियोजना अटक गई है, लेकिन इसपर बातचीत का दौर जारी है। एक शीर्ष रूसी अधिकारी के मुताबिक, परियोजना पर बातचीत का दूसरा दौर जारी है और अनुबंध के मसौदे पर जल्द हस्ताक्षर हो सकते हैं।

रूसी कंपनी रोस्टेक कॉरपोरेशन के प्रबंधन अधिकारी (सीईओ) सर्गेई चेमेजोव ने कहा कि रूस परंपरागत रूप से एक इंजन वाला लड़ाकू जेट विमान का निर्माण नहीं करता है। आमंत्रण मिलने पर वह भारत के साथ मिलकर इन जेट विमानों का निर्माण कर सकता है और भारत ने अपने नई रणनीतिक साझेदारी मॉडल में इसकी घोषणा भी की है।

उन्होंने बताया कि भारत और रूस संयुक्त रूप से पांचवीं पीढ़ी के लड़ाकू विमान विकसित करने की दिशा में प्रयासरत हैं। हालांकि इस परियोजना पर करीब एक दशक से बातचीत चल रही है, लेकिन अब तक अनुबंध पर हस्ताक्षर नहीं हुए हैं।

चेमेजोव ने बताया कि अनुबंध के मसौदे पर निकट भविष्य में हस्ताक्षर होने की संभावना है।

उन्होंने बताया, 'परियोजना का पहला चरण पूरा हो गया है, और अब दूसरा चरण विचाराधीन है। मुझे लगता है कि अनुबंध के मसौदे पर निकट भविष्य में हस्ताक्षर किए जा सकते हैं।'

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भारत और रूस की सरकारों के बीच 2007 में एफजीएफए के लिए समझौता हुआ था। यह समझौता रूसी सुखोई-57 या सुखोई पीएके एफए टी-50 लड़ाकू विमानों के अनुबंध पर आधारित था।

दिसंबर 2010 में भारत को संभावित बहुभूमिका वाले लड़ाकू विमान (पीएमएफ) की आरंभिक डिजाइन के लिए 29.5 करोड़ डॉलर का भुगतान करना था।

हालांकि बाद के वर्षो में समझौते में कई प्रकार की बाधाएं आईं। नई दिल्ली और मॉस्को के बीच कई मसलों पर असमतियां थीं, जिनमें कार्य व लागत की हिस्सेदारी, विमान की प्रौद्योगिकी और विमानों के ठेके भी शामिल हैं।

भारत के लिए प्रौद्योगिकी हस्तांतरण का सवाल भी था, क्योंकि विमान रूसी पीएके एफए टी-50 जेट के आधार पर विकसित किए जाएंगे।

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सूत्रों के मुताबिक, भारतीय वायुसेना को लग रहा है कि यह सौदा बहुत ही महंगा है, क्योंकि चार प्रोटोटाइप लड़ाकू विमानों पर करीब छह अरब डॉलर की लागत आएगी।

हालांकि अक्टूबर 2017 में हिन्दुस्तान एरोनॉटिक्स लिमिटेड (एचएएल) के अध्यक्ष टी. सुवर्ण राजू ने भारत और रूस के एफजीएफए कार्यक्रम का समर्थन किया था। उनका कहना था कि इससे देसी प्रौद्योगिकी विकसित करने का मौका मिलेगा।

भारत अपने बेड़े में रूसी मिग-21 और मिग-27 को हटाकर देश में निर्मित एक इंजन वाले विमान शामिल करने की दिशा में काम कर रहा है और नई रणनीतिक साझेदारी के जरिए इसकी शुरुआत करने की उम्मीद की जा रही है।

इधर, टाटा एडवांस्ड सिस्टम्स लिमिटेड और अमेरिकी विमान निर्माता लॉकहीड मार्टिन के बीच भारत में एफ-16 लड़ाकू विमान बनाने के अनुबंध पर हस्ताक्षर हुए हैं। इसके अलावा स्वीडेन की अग्रणी विमान निर्माता कंपनी साब और भारत के अडानी समूह के बीच समझौते की घोषणा हुई है।

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Source : IANS

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