यह कदम पशु अधिकार कार्यकर्ताओं के जन्म नियंत्रण कार्यक्रम के चलते कुत्तों पर स्वास्थ्य संबंधी असर पर लगाई गई याचिका के बाद उठाया गया है. तिरुचि नगर निगम, जो आवारा कुत्तों की नसबंदी में तेजी से काम कर रहा है ने पहले ही इस मामले पर राज्य के पशुपालन विभाग में याचिका दायर की है. गौरतलब है कि तिरुचि निगम आवारा कुत्तों की प्रतिदिन 60 की दर से नसबंदी कर रहा है और इसे बढ़ाकर 120 प्रतिदिन करना है. तिरुचि निगम के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया, हम यह सुनिश्चित करना चाहते हैं कि कुत्तों के जन्म नियंत्रण कार्यक्रम से गुजरने के बाद आवारा कुत्तों को स्वास्थ्य समस्या न हो. वर्तमान विधि नियंत्रण उपाय इन आवारा कुत्तों और उनकी स्वास्थ्य स्थितियों के बारे में कोई जानकारी नहीं देते हैं, इसलिए आवारा कुत्तों के शरीर में माइक्रोचिप्स डालने की संभावनाओं पर विचार कर रहे हैं.
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तिरुचि निगम चावल के दाने के आकार के माइक्रोचिप्स डालने और रेडियो फ्रीक्वेंसी आइडेंटिफिकेशन सिस्टम पर काम करने की योजना बना रहा है. बता दें कि एक हैंडहेल्ड स्कैनर कुत्ते का विवरण प्रदान करेगा. राज्य पशुपालन विभाग जन्म नियंत्रण कार्यक्रम से गुजर चुके आवारा कुत्तों में माइक्रोचिप को लागू करने को हरी झंडी देने से पहले पशु चिकित्सकों और पशु कार्यकर्ताओं सहित विशेषज्ञों की एक बैठक आयोजित करने की योजना बना रहा है.
तिरुचि की एक पशु स्वास्थ्य कार्यकर्ता सुधा रानी (41) ने मीडिया से बातचीत में कहा, हम लगातार निगम और राज्य के पशु स्वास्थ्य विभाग से उन आवारा कुत्तों की स्वास्थ्य स्थिति पर अध्ययन करने के लिए याचिका दायर कर रहे हैं, जिनका जन्म नियंत्रण कार्यक्रम हुआ है. निगम के अधिकारियों ने मुझे बताया कि वे इन कुत्तों में माइक्रोचिप लगाने पर विचार कर रहे हैं. इस पर एक विशेषज्ञ समिति बनायी जाएगी और फिर इस पर फैसला लिया जाएगा.
Source : IANS