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टाटा की खास पहल, ग्रामीण इलाकों में मेंस्ट्रूअल हाइजीन मैनेजमेंट की पहल शुरू

टाटा ट्रस्ट्स समूह के टाटा वॉटर मिशन के तहत ग्रामीण इलाकों में मेंस्ट्रूअल हाइजीन मैनेजमेंट (एमएचएम) की पहल शुरू की जा रही है.

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ruchika sharma
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टाटा की खास पहल, ग्रामीण इलाकों में मेंस्ट्रूअल हाइजीन मैनेजमेंट की पहल शुरू

ग्रामीण इलाकों में मेंस्ट्रूअल हाइजीन मैनेजमेंट की पहल शुरू

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टाटा ट्रस्ट्स समूह के टाटा वॉटर मिशन के तहत कर्नाटक, गुजरात, राजस्थान, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, महाराष्ट्र और झारखंड के ग्रामीण इलाकों में मेंस्ट्रूअल हाइजीन मैनेजमेंट (एमएचएम) की पहल शुरू की जा रही है. टाटा ट्रस्ट्स ग्रुप ने गुरुवार को कहा कि 2015 से टाटा ट्रस्ट समूह का टाटा वॉटर मिशन ग्रामीण इलाकों में पीने के लिए सुरक्षित, सुनिश्चित और पर्याप्त पानी, स्वच्छता और स्वास्थ्य सुविधा की उपलब्धता को बढ़ाने के लिए कार्यरत है.

टाटा ट्रस्ट समूह के टाटा वॉटर मिशन के मुख्य दिव्यांग वाघेला ने कहा, "मासिक धर्म के दौरान स्वस्थ आदतों को बढ़ावा देना हमारा प्राथमिक उद्देश्य है. इस विषय पर प्रशिक्षण देने के साथ-साथ पर्यावरण अनुकूल उत्पाद उपलब्ध कराने के लिए आपूर्ति श्रृंखला व्यवस्था के निर्माण के लिए हम महिला मंडल और स्थानीय सामाजिक उद्यमिओं को बढ़ावा देंगे. मासिक धर्म पर खुलकर और व्यापक बातचीत को सामान्य बनाने से विस्तारपूर्ण जानकारी, सुरक्षित उत्पाद और बुनियादी सुविधाएं प्रदान करने के लिए एक मंच बनाने में मदद मिलती है." 

उन्होंने कहा, "मासिक धर्म एक प्राकृतिक, शारीरिक प्रक्रिया है. इस सामान्य दृष्टिकोण को अपनाने के लिए प्रयास करना और यह संदेश फैलाना आवश्यक है और मासिक धर्म पर होने वाली बातचीत में से अशुद्धता और शर्म जैसे मुद्दों को हटाकर एक प्राकृतिक, शारीरिक स्वस्थ क्रिया के रूप में इसे देखने का दृष्टिकोण अपनाए जाने के लिए परिवारों से लेकर नीति निर्माताओं तक सभी स्तरों पर प्रभावित करने वालों तक पहुंचना आवश्यक है." 

एमएचएम कार्यक्रम को दो भागों में विभाजित किया गया है- एक भाग स्कूल में और दूसरा समाज में चलाया जाएगा. सामुदायिक कार्यक्रमों में 55 वर्ष की आयु तक की महिलाओं के लिए सेशन्स आयोजित किए जाएंगे. स्कूलों में छठी कक्षा से बारहवीं कक्षा तक की लड़कियों के 4 सत्रों में स्कूल मॉड्यूल होंगे, छात्राएं और शिक्षकों को इस तरह से सक्षम किया जाएगा कि वे आनेवाले समय में इन प्रयासों को स्कूल में जारी रखेंगे.

इसके अतिरिक्त, कक्षा आठवीं से ऊपर के लड़कों को प्रजनन चक्र, पुरुष और महिला जैसे विषयों के बारे में जागरूक किया जाएगा, ताकि उनकी माताओं और बहनों के लिए एक सहायक सामाजिक-सांस्कृतिक वातावरण प्रदान किया जाए. 

Source : IANS

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