Tawang Dispute: भारत-चीनी सैनिकों में झड़प के बीच समझें क्यों अहम है तवांग, 5 दशक पुराना है कनेक्शन

भारत और चीन के सैनिकों के बीच 9 दिसंबर को अरुणाचल प्रदेश के तवांग में हुई झड़प को लेकर संसद के दोनों सदनों में जोरदार हंगामा जारी है.

author-image
Dheeraj Sharma
एडिट
New Update
Tawang Dispute

Tawang Dispute( Photo Credit : File)

Advertisment

Tawang Incident: भारत और चीन के सैनिकों के बीच 9 दिसंबर को अरुणाचल प्रदेश के तवांग में हुई झड़प को लेकर संसद के दोनों सदनों में जोरदार हंगामा जारी है. भारत के साथ-साथ पूरी दुनिया का नजर इस झड़प पर टिकी हुई है. हालांकि अरुणाचल प्रदेश में दोनों देशों की सेनाओं के बीच इस तरह की झड़प नई बात नहीं है, लेकिन इस क्षेत्र को लेकर मामला थोड़ा गंभीर हो जाता है. यही वजह है कि सदन में विपक्षी नेता लगातार सरकार को घेर रहे हैं. हालांकि रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने चीनी सैनिकों को खदेड़ने की बात कही है. इस पूरी झड़प के बीच ये जान लेना बहुत जरूरी है कि आखिर तवांग को लेकर इतना बवाल क्यों मचा है. आखिर क्यों दोनों देशों के लिए तवांग इतना अहम है. 

9 दिसंबर को भारतीय सेना को हटाने के मकसद से घुसे चीनी सैनिकों को मुंहतोड़ जवाब दिया गया है. संसद में ये दावा खुद रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने किया है. हालांकि इससे पहले जून 2020 में भी चीनी सैनिकों ने ऐसी ही हिमाकत की थी. उस दौरान भी उन्हें मुंह की खानी पड़ी थी. तब जगह लद्दाख के पास गलवान थी. इस दौरान भारत के 20 जवान शहीद हो गए थे. हालांकि इस बार भारतीय जवानों ने चीनी सैनिकों को बुरी तरह खदेड़ दिया है. चीनी सैनिकों की संख्या करीब 300 बताई जा रही है. 

यह भी पढ़ें - Tawang: भारत से ज्यादा चीनी सेना को नुकसान, पीछे नहीं हटे हमारे जवान

पहले भी तवांग में हुई झड़प
तवांग में झड़प की ये पहली घटना नहीं है. 9 दिसंबर को तवांग सेक्टर के यांगसे में भारतीय सेना के कई ठिकानों पर चीनी सैनिकों ने हमला किया. इस दौरान चीनी सैनिकों के हाथ में कंटीले तार लगे हथियार भी थे. यही नहीं उनके पत्थरबाजी करने की भी खबरे हैं. 2006 के बाद से ही इन इलाकों में दोनों देशों की सेनाओं के बीच टकराव चल रहा है. 
इसी यांगसे सेक्टर में 2021 में भी चीनी सैनिकों ने घुसपैठ की थी. हालांकि इस दौरान भी भारतीय जवानों ने इन सैनिकों को मुंहतोड़ जवाब दिया और कुछ घंटों के लिए इन्हें बंधक भी बना लिया था. बाद में फ्लैग मीटिंग के बाद इन्हें छोड़ा गया था. 

तवांग क्यों अहम?
अरुणाचल प्रदेश के समीप लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल यानी एलएसी के बीच करीब 8 फ्लैश पॉइंट हैं. इन फ्लैश पॉइंटों में से एक तवांग का यांगसे भी है. इसी इलाके में चीनी सैनिकों की घुसपैठ हुई और बाद में भारतीय जवानों से झड़प. तवांग सेक्टर जमीन से 17 हजार फीट ऊंचाई पर स्थित है. दरअसल इस इलाके को लेकर शुरू से ही चीन ज्यादा संवेदनशील है. क्योंकि भारत की आजादी से पहले ही चीन, तिब्बत और ब्रिटिश इंडिया के बीच सीमा को लेकर एक बैठक हुई. इस बैठक में सीमा को लेकर संधि पर सहमति बनी. हालांकि ये सहमित सिर्फ ब्रिटिश इंडिया और तिब्बत के बीच बनी और चीन ने संधि पर साइन करने से इनकार कर दिया. इस संधि के तहत जो रेखा तय हुई उसे मैकमैहन लाइन नाम दिया गया. इसी सीमा में अरुणाचल प्रदेश का तवांग वाला हिस्सा आता है जो भारत की सीमा में है. इसी रेखा को भारत-चीन के बीच आधिकारिक सीमा रेखा भी बताया गया, हालांकि चीन ने इसे मानने से हमेशा इनकार किया. 

1962 के युद्ध के बाद भी जब युद्ध विराम की घोषणा हुई तो तवांग को भारत का अभिन्न अंग माना गया और चीनी सेना को पीछे हटना पड़ा था. इसी इलाके से पश्चिमी भूटान और तिब्बत की सीमा भी सटी हुई है. यही वजह है कि भारत के लिए ये इलाका काफी महत्वपूर्ण है क्योंकि यहां पर ही देश का विशाल बौद्ध मठ भी स्थित है. 

तिब्बत के लिए चीन को चाहिए तवांग
चीन शुरू से ही तिब्बत पर बुरी नजरें डाले हुए हैं. ऐसे में तवांग एक ऐसा इलाका है जो चीन के कब्जे में आता है तो वो यहां तिब्बत पर सीधी नजर रख सकेगा. यही वजह है कि चीन रह-रह कर तवांग पर अपने सैनिकों के जरिए घुसपैठ की कोशिश करता है. हालांकि हर बार उसे भारतीय जवानों के हाथों मुंह की खानी पड़ती है. 

यह भी पढ़ें - हमारे जवानों ने दिया मुंहतोड़ जवाब; कोई गंभीर घायल नहीं: LS में राजनाथ

HIGHLIGHTS

  • भारत और चीन दोनों के लिए अहम है तवांग
  • आजादी के पहले से ही चीन की बुरी नजर
  • 1962 के बाद से ही रह-रह कर करता है घुसपैठ की कोशिश
rajnath-singh Arunachal Pradesh News Tawang तवांग एलएसी पर तनाव india china faceoff Tawang Incident LAC Clash Tawang Sectior LAC Indian-Chinese troops clash in Arunachal Pradesh Arunachal Pradesh Tawang भारत-चीन सेना टकराव Tawang Dispute
Advertisment
Advertisment
Advertisment