देश का आम बजट पेश होने के बाद वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कहा है कि देश में आमदनी और खर्चे के मुताबिक कर संग्रह नहीं हो पाता है।
लोकसभा में अपने बजट भाषण के दौरान जेटली ने कहा, 'बीते दशकों में टैक्स चोरी करना लोगों की आदत में शुमार हो चुका है। उन्होंने कहा हम एक ऐसे बड़े समाज में तब्दील होते जा रहे हैं जो सरकार को टैक्स नहीं देना चाहता है। इसी वजह से देश के ईमानदार लोगों पर टैक्स का ज्यादा बोझ पड़ रहा है।'
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अरुण जेटली ने बताया कि साल 2015-16 में सिर्फ देश के 3.7 करोड़ लोगों ने ही टैक्स रिटर्न दाखिल किया था। जबकि सिर्फ 99 लाख लोगों ने 2.5 लाख रुपये तक सालाना आमदनी टैक्स रिटर्न में दिखाया था।
जेटली के मुताबिक देश में सिर्फ 1 करोड़ 95 लाख लोगो ने टैक्स रिटर्न में अपनी आमदनी ढाई लाख से 5 लाख रुपये तक दिखाया था। पिछले साल करीब 5 लाख लोगों ने अपनी आमदनी 5 लाख से 10 लाख के बीच बताई थी जबकि सिर्फ 24 लाख लोगों ने अपनी आमदनी 10 लाख रुपये से ज्यादा बताई थी। पिछले साल करीब 76 लाख लोगों ने अपनी आमदनी 5 लाख रुपये से ज्यादा बताई थी जिसमें 56 लाख लोग नौकरीपेशा थे।
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उन्होंने कहा, 'देश में सिर्फ 1 लाख 72 हजार लोग ऐसे हैं जिन्होंने अपनी सालाना आमदनी 50 लाख रुपये से ज्यादा बताई थी। वित्त मंत्री जेटली ने कहा कि टैक्स के ये आंकड़े दिखाते हैं कि देश में प्रत्यक्ष रुप से मिलने वाला कर आमदनी और खर्च के अनुरूप नहीं है।'
जेटली ने कहा, 'बीते 5 सालों में 1 करोड़ 25 लाख कारें देश में बिकी हैं। जो लोग देश के बाहर बिजनेस या फिर घूमने गए हैं पिछले 5 सालों में उनका आंकड़ा 2 करोड़ के आसपास तक पहुंच चुका है।'
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जेटली के मुताबिक भारत की जीडीपी के मुकाबले कर संग्रह बेहद कम है। देश के संगठित क्षेत्र में करीब 4 करोड़ 20 लाख लोग काम करते हैं लेकिन इनकम टैक्स रिटर्न सिर्फ 1 करोड़ 74 लोगों ने फाइल किया था।
Source : News Nation Bureau