केंद्र सरकार आने वाले समय में संगठित क्षेत्र के कर्मचारियों को एक बड़ी ख़ुशख़बरी दे सकती है। बताया जा रहा है कि सरकार जल्द ही क़ानून में संशोधन कर टैक्स फ्री ग्रेच्युटी की सीमा और महिलाओं को मिलने वाले मातृत्व अवकाश की अवधि बढ़ाने पर विचार कर रही है।
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक सरकार बजट सत्र में ग्रेच्युटी भुगतान (संशोधन) विधेयक 2017 को पास कराने की कोशिश करेगी। इस संशोधन का सबसे बड़ा फ़ायदा संगठित क्षेत्र के कर्मचारियों को मिलेगा।
बिल पास होने के बाद 20 लाख रुपये की तक की ग्रेच्युटी की रकम पर कोई टैक्स नहीं देना होगा। फिलहाल टैक्स फ्री ग्रेच्युटी की सीमा 10 लाख रुपये है। इसके अलावा महिलाओॆ को मिलने वाली मातृत्व अवकाश में भी बढ़ोतरी की जाएगी।
सरकार ग्रेच्युटी भुगतान (संशोधन) 2017 विधेयक संसद के शीतकालीन सत्र में लाई थी, लेकिन तब यह पास नहीं हो सका था।
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श्रम मंत्री संतोष कुमार गंगवार ने संसद में 18 दिसंबर, 2017 को ग्रेच्युटी भुगतान (संशोधन) 2017 विधेयक पेश किया था। एक बार यह विधेयक पास होने के बाद सरकार को टैक्स फ्री ग्रेच्युटी की सीमा तय करने के लिए बार-बार कोशिश नहीं करनी पड़ेगी।
ग्रेच्युटी पाने के लिए कर्मचारी को किसी संस्थान में कम से कम पांच साल तक टिककर काम करना होता है, यह भी जरूरी होता है कि सस्थान में कम से 10 कर्मचारी से कम न हों और वह लंबे समय से लगातार चल रहा हो।
ग्रेच्युटी भुगतान विधेयक 1972 में लाया गया था जो उन लोगों के लिए ग्रेच्युटी तय करता है जो कारखानों, कोयले की खानों, तेल श्रेत्रों, बागानों, बंदरगाहों, रेलवे कंपनियों, दुकानों या अन्य प्रतिष्ठानों में काम करते हैं।
इस बिल को पास कराने का प्रस्ताव 2017 के मातृत्व लाभ (संशोधन) विधेयक की उस पृष्ठभूमि को देखते हुए लाया गया है जिसमें मातृत्व अवकाश की अवधि बढ़ाकर 26 हफ्ते की गई थी।
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Source : News Nation Bureau