भारत में 5 सितंबर हर साल शिक्षक दिवस के रूप में मनाया जाता है। आज बुधवार यानी टीचर डे के मौके पर छात्र और शिक्षक भारत में बड़ी ही सादगी से यह दिन मना रहे हैं। इस मौके पर छात्र अपने शिक्षकों को धन्यवाद कह रहे हैं, लिखकर अपने भावों को जाहिर कर रहे हैं और सोशल मीडिया पर भी अपने शिक्षकों के लिए संदेश लिख रहे हैं। एक अच्छा शिक्षक वहीं है जो न विषयों में भेद करे न ही अपनी छात्रों में। एक शिक्षक के लिए इससे बेहतर तौहफा नहीं हो सकता कि उसका छात्र जीवनभर उनकी पढ़ाई बातों को याद रखे।
दरअसल इस दिन महान शिक्षाविद और विचारक डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन का जन्म हुआ था। भारत के शिक्षा क्षेत्र में राधाकृष्णन का बहुत बड़ा योगदान रहा है। राधाकृष्णन का मानना था कि ‘एक शिक्षक का दिमाग देश में सबसे बेहतर दिमाग होता है’।
कहा जाता है कि एक बार डॉ. राधाकृष्णन के कुछ विद्यार्थियों और दोस्तों ने उनसे उनके जन्मदिन मनाने की इच्छा ज़ाहिर की। जिसके जवाब में डॉ. राधाकृष्णन ने अपने जन्मदिन को अलग से मनाने की बजाए इसे शिक्षक दिवस के रूप में मनाने की बात कही।
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राधाकृष्णन एक महान शिक्षाविद्, विचारक, भारत के पहले उप-राष्ट्रपति (1952-57) और दूसरे राष्ट्रपति (1962-67) थे। साधारण रहन सहन और उच्च विचार राधा कृष्णन के जीवन का मूल मंत्र था जिसकी वजह से वो एक श्रेष्ठ गुरु कहलाए।
डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन कहते थे मात्र जानकारी देना शिक्षा नहीं है। शिक्षा का लक्ष्य है ज्ञान के प्रति समर्पण की भावना और निरन्तर सीखते रहने की प्रवृत्ति।
बहुत कम ही लोग जानते हैं कि महान शिक्षक माने जाने वाले डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन को 27 बार नोबेल पुरस्कार के लिए नॉमिनेट किया गया था। जिसमें वह 16 बार लिटरेचर और 11 बार नोबेल पीस प्राइज के लिए नॉमिनेट हुए थे।
Source : News Nation Bureau