तेलंगाना में एक पुलिस चौकी पर कथित रूप से आरएसएस कार्यकर्ताओं की तैनाती की तस्वीरें सोशल मीडिया पर वायरल होने के बाद विवाद खड़ा हो गया, जिसके चलते एक पुलिस निरीक्षक को वहां से हटा दिया गया. अधिकारियों ने रविवार को कहा कि स्वयंसेवकों को इसकी अनुमति नहीं दी गई थी और उन्हें वहां से चले जाने के लिये कहा गया है. वहीं, आरएसएस ने इन खबरों के झूठा बताते हुए खारिज कर दिया कि उसके कार्यकर्ता पुलिस चौकी पर पहचान पत्र चेक कर रहे थे.
संघ ने कहा कि यह खबरें ''संकीर्ण और निहित स्वार्थों'' से प्रेरित हैं. सोशल मीडिया पर घूम रही तस्वीरों में आरएसएस के स्वयंसेवक कोरोना वायरस लॉकडाउन के दौरान कथित रूप से यदाद्री भोंगीर जिले में एक चौकी पर तैनात दिखाई देते हैं. सोशल मीडिया पर कई लोगों ने इसपर आपत्ति जतायी है. उन्होंने पूछा कि ''लाठी लिये'' आरएसएस के कार्यकर्ताओं को चौकी से गुजरने वाले वाहन सवार लोगों के कागज जांचने की अनुमति किसने दी. उन्होंने उनके खिलाफ मामला दर्ज करने की भी मांग की.
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मजलिस बचाओ तहरीक पार्टी के प्रवक्ता अमजद उल्ला खान ने एक बयान में मुख्यमंत्री चंद्रशेखर राव से इस मामले पर स्पष्टीकरण मांगा. उन्होंने पूछा कि क्या यह टीआरएस सरकार की नरम हिंदुत्व की नीति है या फिर आरएसएस समर्थक तेलंगाना सरकार के अधिकारी अपनी मर्जी से ऐसा कर रहे हैं. हालांकि पुलिस ने कहा कि पिछले सप्ताह कॉलेज के कुछ छात्रों ने सादे कपड़ों में स्वयंसेवा और कुछ चौकियों पर भोजन और पानी वितरित करने में पुलिस की मदद की पेशकश की थी.
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पुलिस के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि अचानक वे सब नौ अप्रैल को आरएसएस की वर्दी में आए और फिर उन्होंने चौकी के नजदीक कुछ तस्वीरें उतारीं. इसके बाद उन्हें वहां से चले जाने के लिये कह दिया गया. अधिकारी ने कहा कि पुलिस निरीक्षक (अलायर चौकी के तहत आने वाली चौकी के प्रभारी) को तभी दूसरी जगह भेज दिया गया और मुख्यालय को इसकी सूचना दे दी गई. उन्होंने कहा कि इस संबंध में कोई मामला दर्ज नहीं किया गया है. राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के तेलंगाना राज्य के सचिव के. रमेश ने कहा कि संघ के कार्यकर्ता प्रशासन के कामकाज में दखल नहीं देते और पूरी तरह अनुमति मिलने के बाद ही अपना काम करते हैं.
Source : Bhasha