प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) ने शुक्रवार को दो बीमारू पीएसयू समेत दूरसंचार क्षेत्र का जायजा लिया. बताया जाता है कि पीएमओ ने दूरसंचार विभाग को भारी वित्तीय संकट के कारण वेतन देने से लाचार भारत संचार निगम लिमिटेड (बीएसएनएल) अगली सरकार बनने तक मदद करने को कहा है. सूत्रों के अनुसार, बीएसएनएल को राजस्व बढ़ाने और 1,200 करोड़ रुपये के मासिक वेतन बिल को पूरा करने में कठिनाई का सामना करना पड़ सकता है.
सूत्रों ने बताया कि चुनाव करीब है, इसलिए सरकार नहीं चाहती है कि 1.76 लाख कर्मचारियों को वेतन को लेकर किसी समस्या का सामना करना पड़े. बीएसएनएल की वीआरएस स्कीम की 6,535 करोड़ रुपये की राशि का समाधान अब नई सरकार करेगी.
उच्च सूत्रों के अनुसार, पीएमओ ने दूरसंचार विभाग (डीओटी) को बीएसएनएल को मदद करने और उसके वेतन बिल का जुलाई तक किसी तरह समाधान करने को कहा है.
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बीएसएनएल के 19 साल के इतिहास में पहली बार वेतन देने से कंपनी के लाचार होने पर पिछले महीने डीओटी ने उसके वेतन बिल को पूरा करने के लिए उसकी मदद की थी.
बीएसएनएल का निवल घाटा 8,000 करोड़ रुपये है और इसका राजस्व घटकर करीब 27,000 करोड़ रुपये हो गया है. बाजार में डाटा शुल्क में काफी कमी आने और वॉइस कॉल नि:शुल्क किए जाने से बीएसएनएल के लिए आगे कठिन दौर आ गया है.
सार्वजनकि क्षेत्र की कंपनी बीएसएनएल को इसलिए भी संघर्ष करना पड़ रहा है, क्योंकि उसके पास स्पेक्ट्रम के अभाव के कारण एलटीई 4जी सेवा नहीं है और डीओटी अब इसके स्पेक्ट्रम का प्रस्ताव परामर्श के लिए ट्राई के पास भेजा है, क्योंकि पीएसयू स्पेक्ट्रम हासिल करने के लिए नीलामी की बोली में हिस्सा नहीं ले सकती.
बीएसएनएल का वेज बिल उसके राजस्व का 70 फीसदी है और सेवा से प्राप्त आय कमजोर होने से कंपनी को काफी कठिनाई का सामना करना पड़ रहा है.
कंपनी के सभी कर्मचारियों को पिछले महीने का वेतन 15 मार्च को मिल पाया.
Source : IANS