रिलायंस कम्यूनिकेशन के मुताबिक बढ़ते टैरिफ वॉर और हाई टैक्स के चलते भारतीय टेलिकॉम ऑपरेटर्स को कड़ा नुकसान हो सकता है।
आरकॉम ने भारतीय टेलीकॉम इंडस्ट्री को 1.20 लाख करोड़ रुपये के नुकसान होने का अंदेशा जताया है। आरकॉम के मुताबिक इससे इंडस्ट्री की कमाई और कर्ज भुगतान के वादों पर दबाव पड़ना संभव है।
सालाना ब्याज भुगतान, लोन रीपेमेंट ऑब्लिगेशन, स्पेक्ट्रम संबंधी ऑउटगो और कैपेक्स से 1,62,000 करोड़ रुपये का नुकसान संभव है। इससे ऑपरेटर्स को उनके कर्ज भुगतान और 2017-18 में ऑपरेटिंग प्रॉफिट्स के लिए 43,000 करोड़ रुपये की रकम जुटाना मुश्किल हो सकता है।
ईबीआईटीडीए (EBITDA) के ज़रिए (अर्निंग्स बिफोर इंटरेस्ट, टैक्स, डेप्रीसिएशन और अमॉर्टाइज़ेशन) कंपनी की ऑपरेशनल परफॉर्मेंस निकाली जाती है।
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आरकॉम ने अपने हालिया इंवेस्टर प्रजेंटेशन में यह आशंका जताई है। आरकॉम ने कहा है, 'कम EBITDA (वित्त वर्ष 2008 में 43,000 करोड़ रुपये) मौजूदा ऋण दायित्वों और आस्थगित भुगतान प्रतिबद्धताओं को कवर करने के लिए अपर्याप्त है।'
आरकॉम ने कहा है कि 31 मार्च 2017 तक, कर्ज के कारण दूरसंचार उद्योग की सकल देनदारी और साथ ही रेडियोवेव्स से संबंधित भुगतान राशि 7,75,000 करोड़ रुपये तक पहुंच गया है।
इस बात पर ज़ोर देते हुए अनिल अंबानी की कंपनी रिलायंस कम्यूनिकेशन ने कहा कि 2016-17 में टेलीकॉम इंडस्ट्री के राजस्व में पहली बार गिरावट दर्ज की गई है। आरकॉम ने कहा कि इससे संयुक्त राजस्व लगभग 2.10 लाख करोड़ रूपए में चला गया।
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इसके चलते ईबीआईटीडीए में 12,000 करोड़ रुपये की गिरावट हुई, जिसका मतलब है कि दूरसंचार कंपनियों के लिए काफी कम ऑपरेटिंग कैश फ्लो।
ख़ास बात यह है कि कर्ज के बोझ से दबे आरकॉम ने बीते सप्ताह कहा था कि उसे बैकों को कर्ज की अदायगी करने के लिए सात महीने का समय मिल गया है। बैंकों ने कर्ज के रणनीतिक पुनर्गठन योजना को मंजूरी दे दी है।
इसके तहत सात महीने तक कंपनी को कर्ज की किस्त नहीं चुकानी होगी। बता दें कि कंपनी पर कुल 45,000 करोड़ रुपये का कर्ज है।
कंपनी ने आगाह किया है कि अगले 12-18 महीनों में टेलीकॉम सेक्टर में 30,000-40,000 छंटनियां संभव है जोकि पिछले साल 10,000 थी। संयोग से, भारत 1.16 अरब से अधिक मोबाइल उपयोगकर्ताओं के साथ, चीन के बाद दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा दूरसंचार बाजार है।
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Source : News Nation Bureau