देश के कई हिस्सों में लोग भीषण गर्मी और चिलचिलाती धूप से आम इंसान परेशान हैं. दूसरी ओर, समुद्र की सतह का तापमान भी बढ़ गया है. बंगाल की खाड़ी के दक्षिण-पश्चिम और दक्षिण-पूर्व में तापमान 31 से 32 डिग्री तक पहुंच गया है. ऐसी ही स्थिति अंडमान साइड भी है. अंडमान और निकोबार द्वीप के पास भी तापमान 32 डिग्री पर है. अगर इस तरह से तापमान रहा तो इसका असर सीधे तौर पर मॉनसून और बारिश के मौसम पर पड़ेगा.
कब आएगा मॉनसून?
इससे समुद्री जीवन पर काफी असर होगा. साथ ही इससे बंगाल की खाड़ी के ट्रॉपिकल सिस्टम पर बुरा प्रभाव देखने को मिल सकता है.ऐसी अटकलें हैं कि मानसून 17 मई को बंगाल की खाड़ी के दक्षिणी भाग से क्रिएट होगा. आपको बता दें कि मानसून एक वायुमंडलीय क्रॉस-भूमध्यरेखीय प्रवाह है. जो मानसून की शुरुआत का साइन है.
इसके बाद यह अंडमान और निकोबार द्वीप समूह से विकसित होकर दक्षिण-पूर्व खाड़ी की ओर फैलती है. इसके कारण 20 मई तक बंगाल की खाड़ी के ऊपर एक उष्णकटिबंधीय प्रणाली विकसित होगी.
स्थानीय लेवल पर होगा मौसम में बदलाव
इससे आसपास के क्षेत्रों में जलवायु बदल जाएगी. बारिश अलग-अलग समय पर आ सकती है, जो वेस्ट बंगाल की खाड़ी की तरफ से बढ़ते हुए भारत की ओर आएगा. साथ ही देश की मेन इलाकों पर मौसमी हरकतें देखने के लिए मिलने लगेंगी. समुद्र की सतह का तापमान लगातार बढ़ रहा है.
इसके अलावा बंगाल की खाड़ी के ऊपर भी वायुमंडलीय स्थितियां अच्छी नहीं हैं. वे भी तेजी से बदल रहे हैं. देश में कई जगहों पर स्थानीय स्तर पर मौसम बदल गया है. वहीं इस बार सबसे बड़ा बदलाव दक्षिण हिस्से में आने से पहले मॉनसून बंगाल की खाड़ी के पूर्वी हिस्से की तरफ बढ़ जाए.
Source : News Nation Bureau