शिरडी साईं मंदिर के मुख्य कार्यकारी अधिकारी दीपक मुगलिकर ने 19 जनवरी को साईं मंदिर बंद रहने की खबरों का खंडन किया है. उन्होंने मीडिया से बातचीत में बताया कि, पिछले कुछ दिनों से मीडिया में ऐसी खबरें आ रहीं हैं कि शिरडी में साईं मंदिर 19 जनवरी को बंद रहेगा. मैं आपको स्पष्ट तौर पर बताना चाहूंगा कि यह सब सिर्फ एक अफवाह है. आगामी 19 जनवरी को शिरडी का साईं मंदिर अपने नियमित समय पर खुला रहेगा.
Dipak Muglikar, Chief Executive Officer, Sai Temple in Shirdi: There are some reports in media that Sai Temple in Shirdi will remain close on 19th January. I want to clarify that it is just a rumour. Temple will remain open on 19th January. #Maharashtra pic.twitter.com/o4r013rZl4
— ANI (@ANI) January 18, 2020
इसके पहले शनिवार को साईं बाबा (Sai Baba) की जन्मभूमि का विवाद बढ़ता दिखा. जहां श्रद्धा और सबुरी की बातें की जाती हैं वहां आज विवाद हो रहा था. वह भी साईं बाबा के जन्म पर. 18 जनवरी दिन शनिवार को साईं बाबा की जन्मभूमि के मुद्दे पर रविवार से शिरडी (Shirdi) में अनिश्चितकालीन बंद का ऐलान किया गया है. यह ऐलान शिरडी के लोगों ने किया है. इस बारे में शनिवार को शिरडी ग्राम सभा की बैठक भी बुलाई गई है. बंद को प्रभावी बनाने के लिए शिरडी की पांच कोस की परिक्रमा में बसे गांवों की पंचायतों के प्रमुख पदाधिकारियों और गांववालों को इस बैठक में बुलाकर उन्हें भी बंद में शामिल करने की कोशिश की जा रही है.
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विवाद को शांत करने के लिए महाराष्ट्र विधान परिषद की उप सभापति और शिवसेना की नेता निलम गोर्हे ने गुरुवार को शिरडी पहुंचकर शिरडी बंद न करने की अपील की थी. उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री जल्द ही इस बारे में शिरडी के लोगों से बातचीत करेंगे. आपको बता दें कि साईं बाबा की जन्मभूमि को लेकर विवाद तब पैदा हुआ, जब महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने परभणी जिले के पाथरी गांव के विकास के लिए 100 करोड़ रुपये देने की घोषणा की. पाथरी को साईं बाबा का जन्मस्थली कहा जाता है.
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शिरडी ग्राम सभा का कहना है कि इससे पहले भी साईं बाबा और उनके माता-पिता के बारे में अनेक बोगस दावे किए जा चुके हैं. अब पाथरी को उनकी जन्मभूमि का दावा कर साईं बाबा पर एक जाति विशेष का लेबल लगाने की कोशिश की जा रही है. ग्राम सभा के लोगों का कहना है कि उनका विरोध पाथरी के विकास के लिए 100 करोड़ रुपये दिए जाने को लेकर नहीं, बल्कि उसे साईं बाबा की जन्मभूमि की पहचान देने से है. ग्राम सभा का यह भी कहना है कि साईं बाबा ने अपना नाम, पता, जाति, धर्म कभी किसी को नही बताया. इस