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Iran and Israel Tension: ईरान और इजरायल के बीच चल रहा है टेंशन, जानें चाबहार पोर्ट की भूमिका

भारत के लिहाज से चाबहार पोर्ट की भूमिका काफी अहम हो गई है. इस पोर्ट का उपयोग भारत, ईरान, अफगानिस्तान के साथ उज्बेकिस्तान भी कर रहा है. भारत और ईरान इसे आपसी व्यापार और पूरी दुनिया से इसके जरिए ट्रेड करने के रूप में देखते हैं.

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Vikash Gupta
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चाबहार पोर्ट

चाबहार पोर्ट ( Photo Credit : Social Media)

Iran and Israel Tension: ईरान और इजरायल के बीच के रिश्ते धीरे-धीरे खराब हो रहे हैं. ईरान ने इजरायल को धमकी देते हुए कहा है कि वो अपने ऊपर हुए हमले का बदला लेकर रहेगा. इसके बाद से अमेरिका, फ्रांस, ब्रिटेन सहित पूरा यूरोप चिंता में पड़ गई है. इस बीच इजरायली सेना की ओर से भी बयान जारी कर कहा गया है कि इजरायल किसी भी स्थिति से निपटने के लिए सक्षम है. वहीं, ईरानी सेना ने इजरायल के जहाज को पकड़ लिया है. मीडिया रिपोर्ट की मानें तो इसमें 17 भारतीय नागरिक सवार थे. भारत सरकार उन लोगों को सुरक्षित निकालने में जुट गई है. दुनिया के इस ताजा हालात पर भारत की भूमिका काफी अहम हो जाती है. 

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पूरी दुनिया इस बात से चिंतित है कि अगर ईरान और इजरायल के बीच जंग होती है जो इस खमियाजा पूरी दुनिया को भुगतना पड़ेगा. ऐसे स्थिति में अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन दोनों देशों से युद्ध को टालने की अपील कर रहे हैं. मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक अमेरिकी राष्ट्रपति की ओर से इजरायल को संदेश दिया गया है कि वो कुछ भी ऐसा न करें जिससे जंग की नौबत आ जाए. इसके साथ ही माना जा रहा है कि अगर जंग होती है तो ऐसे हालात में तेल की कीमतें आसमान पर चली जाएगी. पूरी दुनिया पहले ही रूस और यूक्रेन के बीच चल रहे युद्ध की वजह से काफी नुकसान हो चुका है. इस मसले पर भारत का कहना है कि आपसी बातचीत के जरिए मसले का हल होना चाहिए. 

कई देशों को इससे लाभ

ऐसी स्थिति में भारत और ईरान के आपसी सहयोग से तैयार चाबहार पोर्ट पर भी असर देखने को मिल सकता है. आपको बता दें कि पहली बार ये दुनिया के सामने साल 2017 में आया था जब पीएम नरेंद्र मोदी ईरान के दौरे पर गए थे. इसके साथ ही साल 2021 में विदेश मंत्री एस जयशंकर ने चाबहार पोर्ट को अफगानिस्तान के लिए मुख्य ट्रांजिट हब के रूप में ऐलान किया था. जानकारी के मुताबिक पिछले साल अफगानिस्तान की सरकार ने यहां 35 मिलियन निवेश करने की घोषणा की है. 

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मध्य एशिया का एक्सेस

माना जाता है कि चाबहार पोर्ट को चीन और पाकिस्तान के समर्थन से बने ग्वादर पोर्ट को काट के रूप में तैयार किया गया है. इसके साथ ये जरिया भारत और मीडिल ईस्ट और यूरोप से जोड़ने के लिए.  वहीं इससे अफगास्तान को एक्सेस मिल जाएगा समुद्री रास्तों के साथ भारतीय महसागर का. आपको बता दें कि अफगानिस्तान एक लैंड लॉक कंट्री है और मध्य एशिया का महत्वपूर्ण देश. इस पोर्ट के बनने से पहले भारत को मध्य एशिया तक अपने सामान ले जाने के लिए पाकिस्तान के रास्तों का उपयोग करना पड़ता था. लेकिन कई बार पाकिस्तान इसे एक्सेस करने से मना कर देता था. इस प्रोजक्ट के जरिए भारत ईरान, अफगानिस्तान, आर्मेनिया, अजरबैजान, रूस, मध्य एशिया के साथ -साथ यूरोप तक अपनी पहुंच होगी. 

Source : News Nation Bureau

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