विदेश मंत्री एस जयशंकर (S jaishankar) ने पाकिस्तान (Pakistan) पर परोक्ष रूप से हमला करते हुए कहा कि आतंकवाद और चीन (China) द्वारा सीमा समझौतों के उल्लंघन पर भारत की कड़ी प्रतिक्रिया से पता चलता है कि हमारे देश को कोई भी मजबूर नहीं कर सकता है. 'तुगलक' के 53वें वार्षिक दिवस समारोह को संबोधित करते हुए जयशंकर ने कहा कि सभी देशों की राष्ट्रीय सुरक्षा की परीक्षा हो रही है, लेकिन भारत (India) इनकी तुलना में कहीं अधिक भुक्तभोगी रहा है. इनमें आतंकवाद और युद्ध से लेकर सीमा पार आतंकवाद (Terrorism) विशेषकर शामिल हैं. उन्होंने कहा कि हालांकि आतंक को भारत ने लंबे समय तक सहन किया, जिसने आतंकवाद के खतरे को और बढ़ा दिया. इसकी प्रतिक्रिया अब भारत देने लगा है. इस कड़ी में जयशंकर ने उरी और बालाकोट (Balakot) का उदाहरण दिया.
दुनिया में इसीलिए भारत का महत्व बढ़ा है
विदेश मंत्री ने पाकिस्तान के बाद चीन के आक्रामक रवैये और उस पर भारत की प्रतिक्रिया का भी उल्लेख किया. उन्होंने कहा, 'चीन वास्तविक नियंत्रण रेखा पर पीपुल्स लिबरेशन आर्मी के सैनिकों का भारी जमावड़ा कर सीमा पर यथास्थिति बदलना चाह रहा है. यह भारत-चीन के बीच सीमा समझौतों का उल्लंघन है. ध्यान रखें कि कोरोना महामारी के बीच में 2020 मई में चीन के इरादों का पर्दाफाश हुआ था, फिर भी हमारी जवाबी प्रतिक्रिया मजबूत और सुदृढ़ थी. तब से हमारे हजारों सैनिक सबसे कठिन इलाकों और कठोर मौसम में सीमाओं की रक्षा कर रहे हैं. संभवतः वैश्विक मंच पर इसलिए भारत मायने रखता है क्योंकि दुनिया देख रही है कि यह एक ऐसा राष्ट्र है जिसके साथ जबर्दस्ती नहीं की जा सकती, इसे कोई भी मजबूर नहीं कर सकता. और तो और, भारत एक ऐसा देश है, जो अपनी राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए हर वह कदम उठाएगा, जो जरूरी होगा.'
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कोविड-19 टीके विकसित कर शेष दुनिया के साथ बांटे
एस जयशंकर ने कोविड-19 पर भी बात की और कहा कि भारत कोरोना टीकों का एक सफल निर्माता है, जिसने अपने दम पर इन्हें तैयार भी किया है. उन्होंने कहा, 'भारत न केवल अपने लिए और शेष दुनिया के लिए टीकों का एक सफल उत्पादक बना, बल्कि अपने दम पर वैक्सीन तैयार भी की. अब यह अलग बात है कि कुछ लोग इस उपलब्धि को कमतर करने की कोशिश कर रहे हैं, लेकिन निश्चित रूप से हम 2 अरब से ज्यादा कोरोना टीके लोगों को लगाने में सफल रहे हैं. यह दुनिया के कई अन्य हिस्सों की तुलना में कहीं अलग अनुभव है. सिर्फ अपने लिए ही नहीं, भारत ने शेष दुनिया के साथ एकजुटता का प्रदर्शन करते हुए दुनिया भर में 100 से अधिक भागीदारों को टीके और विकसित देशों सहित 150 से अधिक देशों को दवाएं प्रदान कीं. कोरोना महामारी की इसी अवधि में अन्य विकास कार्य भी हुए, जो मील के पत्थर बने. यह अलग बात है कि घर की मुर्गी दाल बराबर की तर्ज पर इन्हें हल्के में लिया गया है. मसलन भारत ने इसी दौरान 80 करोड़ लोगों को खाद्य सहायता दी.'
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भारत का विकास मानव केंद्रित
जयशंकर ने यह भी कहा कि नई चुनौतियों और जिम्मेदारियों को वहन करने वालों के लिए दुनिया बहुत ज्यादा अवसर प्रदान करती है. संभवतः इसीलिए वैश्विक मंच पर आज भारत मायने रखता है क्योंकि वह चुनौतियों के साथ-साथ जिम्मेदारियों के निर्वहन में पीछे नहीं है. हालांकि आकार और जनसंख्या किसी राष्ट्र की क्षमता के स्पष्ट संकेतक हैं, लेकिन कोई भी अपने आप में आत्मनिर्भर नहीं है.' उन्होंने कहा कि वैश्विक संतुलन के मूल में दुनिया के दक्षिणी हिस्से में चीन, भारत और अन्य देशों का योगदान रहा है, जिन्होंने अपनी दीर्घकालिक विशेषताओं को राष्ट्रीय पुनरुत्थान की प्रक्रिया के माध्यम से अधिक महत्व दिया है.' जयशंकर ने यह भी कहा कि प्रमुख कारक विकास की गति और उसकी प्रकृति है. खासकर विकास को इंसान केंद्रित बनाना. इस कड़ी में हाल की घटनाएं हमारे देश के लिए आशावाद का प्रबल स्रोत हैं. 2014 से समाज को बदलने की प्रतिबद्धता समय के साथ और तेज व प्रभावी हुई है.
HIGHLIGHTS
- 'तुगलक' के 53वें वार्षिक दिवस समारोह में विदेश मंत्री रहे मुखर
- पाकिस्तान-चीन को उनकी कारगुजारियों के लिए दिखाया आईना
- भारत को अब कोई भी देश किसी सूरत में मजबूर नहीं कर सकता