मनी लांड्रिंग तथा आतंकवाद वित्तपोषण के मामले में जोखिम वाली छवि के चलते पाकिस्तान फरवरी 2020 के बाद भी फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स (एफएटीएफ) की ‘ग्रे’ सूची में बना रह सकता है. मीडिया रिपोर्टों में यह आशंका व्यक्त की गयी है. स्थानीय अखबार डॉन ने शुक्रवार को आर्थिक मामलों के विभाग के प्रभारी मंत्री हम्माद अजहर के हवाले से कहा, ‘‘पाकिस्तान की जोखिम छवि के चलते इसके समक्ष कई अन्य देशों की तुलना में अधिक चुनौतियां हैं.’’
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अजहर ने नेशनल असेंबली की स्थायी समिति (वित्त एवं राजस्व) की एक बैठक में यह कहा. उल्लेखनीय है कि पाकिस्तान को एफएटीएफ ने पिछले साल जून में ‘ग्रे’ सूची में शामिल किया था. पाकिस्तान को ईरान तथा उत्तर कोरिया के साथ ‘ब्लैक’ सूची में शामिल होने के जोखिम से बचने के लिये अक्टूबर 2019 तक कुछ कदम उठाने के लिये कहा गया था.
एफएटीएफ ने अक्टूबर में पेरिस में हुई बैठक में भी पाकिस्तान को ‘ग्रे’ सूची में बनाये रखने का निर्णय लिया था. अजहर ने बैठक में कहा कि कई देशों को महज 80 प्रतिशत निर्देशों का अनुपालन करने पर ही ‘ग्रे’ सूची से बाहर निकाल दिया गया, लेकिन पाकिस्तान पर 100 प्रतिशत निर्देशों का अनुपालन करने का दबाव डाला जा रहा है.
Source : PTI