सऊदी अरब (Saudi Arab) के विदेश मंत्री आदिल बिन अहमद अल-जुबैर ने बुधवार को इस बात से इंकार किया कि रियाद जैश ए मोहम्मद के प्रमुख मसूद अजहर को संयुक्त राष्ट्र द्वारा प्रतिबंधित कराने के भारत के प्रयासों का विरोध करता है. उन्होंने कहा कि कोई भी आतंकवादी या अन्य व्यक्ति जो आतंकवाद का समर्थन या उसे वित्तपोषित करता है, उसे संयुक्त राष्ट्र द्वारा प्रतिबंधित किया जाना चाहिए. अल-जुबैर ने कहा कि सऊदी अरब के प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान की सोमवार को इस्लामाबाद की यात्रा के दौरान पाकिस्तान-सऊदी अरब संयुक्त बयान में संयुक्त राष्ट्र की सूची के 'राजनीतिकरण' से बचने के आह्वान का उद्देश्य अजहर को 'वैश्विक आतंकवादी' घोषित करवाने के भारत के प्रयासों पर निशाना साधना नहीं था.
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संयुक्त राष्ट्र द्वारा प्रतिबंधित जैश ए मोहम्मद ने कश्मीर के पुलवामा जिले में 14 फरवरी को हुए आतंकी हमले की जिम्मेदारी ली थी. इस हमले में सीआरपीएफ (CRPF) के 40 जवान शहीद हुए थे. अल-जुबैर ने मिड़िया से साक्षात्कार में कहा, 'कोई भी व्यक्ति जो आतंकवादी है उसे चिन्हित किया जाना चाहिए. विचार यह सुनिश्चित करने का था कि कोई राजनीतिकरण नहीं हो, ताकि लोग अपने राजनीतिक विरोधी का नाम लेकर उसे आतंकवादी के रूप में चिन्हित नहीं करा दें.'
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सऊदी विदेश मंत्री ने कहा कि उनके देश की आतंकवाद को कतई बर्दाश्त नहीं करने की नीति है और 'जो आतंकवाद का समर्थन करता है और इसे वित्तपोषित करता है उसे चिन्हित किया जाना चाहिए तथा सजा दी जानी चाहिए.' उन्होंने कहा, 'मुझे लगता है कि लोग यहां मानते हैं कि संयुक्त बयान एक व्यक्ति विशेष (अजहर) पर होना चाहिए था. ऐसा नहीं हुआ. मंशा यह थी कि (आतंकवाद के रूप में) चिन्हित करने की प्रक्रिया स्पष्ट हो, राजनीतिक नहीं.'
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पुलवामा हमले के बाद भारत और पाकिस्तान के बीच बढ़ते तनाव के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि सऊदी अरब का मानना है कि दोनों देश तनाव कम कर सकते हैं और शांतिपूर्ण ढंग से मुद्दों को सुलझा सकते हैं. सऊदी के विदेश मंत्री ने कहा, 'हमें आशा है कि भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव नहीं बढेगा. दोनों देशों में समझदार नेतृत्व है जिसका प्रतिनिधित्व दोनों देशों के प्रधानमंत्री कर रहे हैं. मुझे लगता है कि वे तनाव कम करने का तरीका खोज लेंगे.'
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यह पूछे जाने पर कि क्या सऊदी अरब दोनों देशों के बीच मध्यस्थता करने का प्रयास करेगा, उन्होंने कहा, 'हम भारत और पाकिस्तान द्वारा बुलाए बिना दोनों देशों के बीच तनाव में खुद शामिल नहीं होंगे.' 'हमारे दोनों देशों के साथ अच्छे संबंध हैं और अगर दोनों चाहते हैं कि हम कोई भूमिका निभाएं, तो हम इस पर विचार करेंगे.'
विदेश मंत्री ने कहा कि कोई भी दो परमाणु शक्तियों के बीच सशस्त्र संघर्ष देखना नहीं चाहता क्योंकि इस तरह के गतिरोध से केवल आतंकवादियों को फायदा होगा.
Source : PTI