बीते एक महीने में देश ने अपने तीन प्रिय नेताओं को खो दिया. जुलाई और अगस्त महीने में शीला दीक्षित, सुषमा स्वराज और अरुण जेटली का निधन हो गया. 20 जुलाई को शीला दीक्षित ने इस दुनिया को अलविदा किया. वहीं, 6 अगस्त को इस दुनिया से रूखस्त हो गईं. और आज देश के पूर्व वित्त मंत्री और बीजेपी के कद्दावर नेता अरुण जेटली अपने यादों के साथ हमें छोड़कर चले गए.
शीला दीक्षित और सुषमा स्वराज दोनों दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री थीं, तो अरुण जेटली केंद्रीय मंत्री थे. शीला दीक्षित और सुषमा स्वराज भले ही राजनीतिक प्रतिद्वंदी रहे, लेकिन निजी जिंदगी में दोनों अच्छे दोस्त थे. अरुण जेटली भी शीला दीक्षित का सम्मान करते थे. शीला दीक्षित के निधन पर अरुण जेटली ने शोक जताते हुए कहा था कि शीला दीक्षित को उनके कामों के लिए हमेशा याद किया जाएगा.
इसे भी पढ़ें:अरुण जेटली के बंगले पर हुई थी वीरेंद्र सहवाग की शादी, दिल्ली के कई खिलाड़ियों को बढ़ाया आगे
गौरतलब है कि शीला दीक्षित और सुषमा स्वराज दोनों का निधन हार्ट अटैक से हुआ. 20 जुलाई, 2019 को हार्ट अटैक से दिल्ली की 3 बार की मुख्यमंत्री और कांग्रेस की सीनियर लीडर शीला दीक्षित का निधन हुआ. इसके 3 हफ्ते के भीतर मंगलवार 6 अगस्त 2019 की रात दिल्ली की मुख्यमंत्री रह चुकीं, पूर्व विदेश मंत्री और बीजेपी की वरिष्ठ नेता सुषमा स्वराज नहीं रहीं. सुषमा स्वराज को हार्ट अटैक के बाद एम्स में भर्ती करवाया गया था, जहां उन्होंने आखिरी सांस ली.
सुषमा स्वराज के निधन के 3 दिन बाद ही अरुण जेटली को सांस लेने में तकलीफ हुई और फिर उन्हें एम्स में भर्ती कराया गया था. जिसके बाद से उनकी तबीयत लगातार बिगड़ती गई. 24 अगस्त को उन्होंने एम्स में आखिरी सांस ली.
13 अक्टूबर 1998 से लेकर 3 दिसंबर 1998 तक दिल्ली की सीएम रहीं. 3 दिसंबर 1998 को विधानसभा से इस्तीफा देकर वो केंद्र की राजनीति में उतर गई. वहीं शीला दीक्षित 1998 से लेकर 2013 तक दिल्ली की मुख्यमंत्री रहीं. दोनों ही नेता महिलाओं की रोल मॉडल रहीं. सियासत में रहने के बावजूद दोनों के दामन पर किसी तरह का दाग नहीं लगा.
और भी पढ़ें:बीजेपी के लिए अशुभ रहा अगस्त, वाजपेयी, सुषमा और बाबूलाल गौड़ के बाद अब जेटली का निधन
वहीं अरुण जेटली की बात करें तो 1980 में वो बीजेपी के सदस्य बने. साल 2000 में वो पहली बार केंद्र सरकार में कैबिनेट मंत्री बनाए गए. 2002 में उन्हें बीजेपी का जनरल सेक्रेटरी बनाया गया. 2009 में वो राज्यसभा के नेता प्रतिपक्ष चुने गए. 2012 में उन्हें गुजरात से राज्यसभा में भेजा गया. 2014 वित्त मंत्री का पद संभाला. मोदी सरकार 2.0 में सेहत की वजह से अरुण जेटली ने ना तो चुनाव लड़ा और ना ही कोई मंत्री पद संभाला. अरुण जेटली वित्त मंत्री रहते हुए बहुत ही बेहतरीन काम किया.