केरल के सबरीमला स्थित भगवान अयप्पा के मंदिर को कोविड-19 महामारी से बचाव के सख्त नियमों के साथ रविवार को दो महीने के मंडला-मकरविल्लाक्कू तीर्थ सत्र के लिए खोल दिया गया. मंदिर के सूत्रों ने बताया कि श्रद्धालुओं को सोमवार सुबह से मंदिर में प्रवेश दिया जाएगा. वहीं रविवार को कोई विशेष पूजा नहीं हुई. मेलशांति एके सुधीर नम्बूदरी ने तंत्री (मुख्य पुजारी) कंडारारू राजीवरू की उपस्थिति में रविवार शाम पांच बजे गर्भ गृह के कपाट खोले और दीपक प्रज्ज्वलित किया.
इसके साथ ही 62 दिनों के वार्षिक उत्सव सत्र की शुरुआत हो गई है. हाल में चुने गए मेलशांति (दैनिक पूजा करने के लिए मुख्य पुजारी) वीके जयराज पोट्टी और मलिक्कापुरम के मेलशांति एमएन राजकुमार सबसे पहले मंदिर की पवित्र 18 सीढ़ियों पर चढ़कर गर्भ गृह में गए और पूजा अर्चना की. उन्होंने रविवार शाम को पूजा का कार्यभार ग्रहण किया.
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इस बार कोविड-19 की वजह से रोजाना केवल 1,000 तीर्थयात्रियों को ही मंदिर में प्रवेश करने की अनुमति दी जाएगी और उन्हें डिजिटल प्रणाली से दर्शन का समय आरक्षित कराना होगा. इसके साथ ही श्रद्धालुओं को नीलक्कल और पम्बा के आधार शिविर पहुंचने से 24 घंटे पहले कोविड-19 जांच करानी होगी और निगेटिव रिपोर्ट होने पर ही पहाड़ी पर स्थित मंदिर तक जाने की अनुमति होगी.
आधार शिविर में कोविड-19 जांच सुविधा केंद्र खोले जाएंगे. श्रद्धालुओं को मंदिर में ठहरने की अनुमति नहीं होगी. मंदिर का प्रबंधन संभालने वाले त्रावणकोर देवस्वोम बोर्ड (टीडीबी) ने कहा कि इस तीर्थ सत्र में करीब 85 हजार श्रद्धालु दर्शन कर सकेंगे.
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टीडीबी के मुताबिक शनिवार और रविवार को मंदिर में 2,000 श्रद्धालुओं को जाने की अनुमति दी जाएगी. कोविड-19 नियमों के तहत केवल 10 से 60 वर्ष उम्र के श्रद्धालुओं को ही इस बार दर्शन की अनुमति दी जाएगी. बता दें कि हर साल सबरीमला में लाखों श्रद्धालु दर्शन करते रहे हैं. गौरतलब है 15 नवंबर से शुरू हुआ तीर्थ सत्र अगले साल 19 जनवरी तक चलेगा.
Source : Bhasha