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मोल्‍डिंग ऑफ रिलीफ को लेकर हिन्‍दू महासभा और मुस्‍लिम पक्षकारों ने सुप्रीम कोर्ट में पेश किया जवाब

सुप्रीम कोर्ट ने 16 अक्टूबर को फैसला सुरक्षित रखते हुए सभी पक्षकारों को तीन दिन के अंदर मोल्डिंग ऑफ रिलीफ को लेकर लिखित जवाब दाखिल करने को कहा था.

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Sunil Mishra
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मोल्‍डिंग ऑफ रिलीफ को लेकर हिन्‍दू महासभा और मुस्‍लिम पक्षकारों ने सुप्रीम कोर्ट में पेश किया जवाब

सुप्रीम कोर्ट( Photo Credit : File Photo)

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अयोध्या मामले (Ayodhya Case) में अखिल भारतीय हिन्‍दू महासभा (Akhil Bhartiya Hindu Mahasabha) और मुस्लिम पक्षकारों (Muslim Parties) ने सीलबंद कवर में मॉल्डिंग ऑफ रिलीफ (वैकल्पिक राहत को लेकर- MOlding of Relief) अपना लिखित जवाब सीलबंद कवर में सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) में दाखिल कर दिया है. सुप्रीम कोर्ट ने 16 अक्टूबर को फैसला सुरक्षित रखते हुए सभी पक्षकारों को तीन दिन के अंदर मोल्डिंग ऑफ रिलीफ को लेकर लिखित जवाब दाखिल करने को कहा था. अयोध्या मामले में अखिल भारतीय हिंदू महासभा ने भी मोल्डिंग ऑफ रिलीफ को लेकर जवाब दाखिल कर दिया है. अखिल भारतीय हिंदू महासभा के जवाब में कहा गया है, 'सुप्रीम कोर्ट एक ट्रस्ट (Trust) बनाने का आदेश दे सकता है, जो राम मन्दिर (Ram Mandir) के निर्माण के बाद वहां प्रबंधन/प्रशासन को संभाले. इसके लिए सुप्रीम कोर्ट प्रशासक (Admin) की नियुक्ति का आदेश दे सकता है.

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जानकारों के मुताबिक, अयोध्या मामला पूरे अदालती और न्यायिक इतिहास में असाधारण मामलों में से एक है. इसमें विवाद का असली यानी मूल ट्रायल हाई कोर्ट में हुआ और अपील सुप्रीम कोर्ट में हुई. मोल्डिंग ऑफ रिलीफ का मतलब ये है कि याचिकाकर्ता ने कोर्ट से जो मांग की है अगर वो नहीं मिलती है तो विकल्प क्या होगा, जो उसे दिया जा सके. दूसरे शब्दों में कहें तो सांत्वना पुरस्कार. अयोध्या केस में मोल्डिंग ऑफ रिलीफ से मतलब ये हुआ कि विवादित जमीन का हक किसी एक पक्ष को दिया जाए तो दूसरा पक्ष को क्या दिया जा सके.

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मुस्लिम पक्षकारों के वकील राजीव धवन ने इस बाबत संकेत दिए कि अगर मोल्डिंग की बात है तो हमें 6 दिसंबर 1992 के पहले वाली हालत की मस्जिद की इमारत चाहिए. इसी तरह हिंदू पक्षकारों से हमने बात की तो उनका कहना है कि हमें तो राम जन्मस्थान चाहिए इसके अलावा कुछ और नहीं.

Source : न्‍यूज स्‍टेट ब्‍यूरो

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