चीन ने भारत के पूर्वोत्तर राज्य अरुणाचल प्रदेश के 15 स्थानों का नाम बदल दिया है. उसने उन क्षेत्रों का नाम चीनी अक्षरों और तिब्बती व रोमन वर्णमाला के आधार पर रख दिया है. भारत ने चीन की इस हरकत पर तीखी टिप्पणी व्यक्त की है. विदेश मंत्रालय ने एक प्रेस कांफ्रेंस कर कहा कि, “चीन की तरफ से जो नाम अरुणाचल प्रदेश के इलाकों का रखा गया है उसका विरोध करते है. ये भारत के इलाके थे और रहेंगे.”
पेन्गोंग लेक पर चीन के अवैध पुल निर्माण पर विदेश मंत्रालय ने कहा की सरकार इसे क्लोज़ली देख रही है. यह पुल भारत के कब्जे वाले हिस्से में बनाया जा रहा है. सरकार इसे बेहद गम्भीरता से देख रही है.
चीन की विदेश नीति विस्तारवाद पर आधारित है. चीन का सिर्फ भारत ही नहीं अपने हर पड़ोसी देश से सीमा विवाद है. चीन की नजरों में अरुणाचल प्रदेश दक्षिण तिब्बत का हिस्सा है और भारत ने उस पर गैर कानूनी कब्जा जमा रखा है.
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अब जब ये विवाद बढ़ा है तो भारत सरकार की तरफ से मुंहतोड़ जवाब दिया गया है. विदेश मंत्रालय ने साफ कर दिया है कि अरुणाचल प्रदेश भारत का हिस्सा रहा है और आगे भी भारत का ही हिस्सा रहने वाला है. अरुणाचल को देश का अहम हिस्सा बता दिया गया है.
भारत सरकार ने इस बात पर भी जोर दिया है कि इस तरह से नाम बदलने से कुछ नहीं होने वाला है. विदेश मंत्रालय के मुताबिक साल 2017 में भी चीन ने ऐसा ही दुस्साहस किया था. तब उसकी तरफ से 6 जगहों के नाम बदले गए थे. लेकिन ना तब भारत की प्रतिक्रिया में कोई बदलाव देखने को मिला था और ना ही अब कोई देखने को मिल रहा है. भारत का स्टैंड हमेशा से स्पष्ट रहा है. अरुणाचल प्रदेश भारत का ही अहम हिस्सा है और चीन का उस पर कोई हक नहीं.
HIGHLIGHTS
- चीन की विदेश नीति विस्तारवाद पर आधारित है
- चीन का सिर्फ भारत ही नहीं अपने हर पड़ोसी देश से सीमा विवाद है
- चीन की नजरों में अरुणाचल प्रदेश दक्षिण तिब्बत का हिस्सा है