दिल्ली पुलिस ने कहा है कि मीडिया में Twitter से पूछताछ से सम्बंधित कुछ बयान चल रहे हैं. प्रथम दृष्टया, ये बयान न केवल झूठा हैं बल्कि एक निजी उद्यम द्वारा वैध जांच में बाधा डालने के लिए डिज़ाइन किए गए हैं. दिल्ली पुलिस ने कहा कि सार्वजनिक मंच होने के नाते ट्विटर को अपने कामकाज में पारदर्शिता का प्रदर्शन करना चाहिए और सार्वजनिक डोमेन के मामलों में स्पष्टता लानी चाहिए. दिल्ली पुलिस ने कहा कि चूंकि इस मामले को सार्वजनिक कर दिया गया है, इसलिए सीधे तौर पर दिए गए भ्रामक बयानों के बदले सही और सच बयान को पब्लिक डोमेन में लाना जरुरी है.
दिल्ली पुलिस ने आगे अपने बयान में कहा है कि ट्विटर एक इंवेस्टिगेटिंग एजेंसी होने के साथ साथ जांचकर्ता होने जैसा व्यव्हार कर रहा है. लेकिन ट्विटर के पास ऐसा होने के लिए कोई भी न्यायिक और कानूनी अधिकार नहीं है. एकमात्र कानूनी इकाई जिसे विधिवत निर्धारित कानून द्वारा जांच करने का अधिकार दिया गया है वो पुलिस है और न्याय करने का अधिकार न्यायालय को हैं. दिल्ली पुलिस ने कहा कि ट्विटर का बयान संदिग्ध और सहानुभूति प्राप्त करने के उद्देश्य लिए तैयार किए गए हैं, ट्विटर न केवल कानून के पालन करने से इनकार कर रहा है, बल्कि उनके पास उपलब्ध साक्ष्य को कानून के साथ साझा करने से इनकार कर रहे हैं.
दिल्ली पुलिस स्पेशल सेल के वरिष्ठ अधिकारी की मानें तो ट्विटर ने जब संबित पात्रा के ट्वीट पर मैनिपुलेटेड मीडिया कहा है तो इससे यह समझा जा सकता है कि ट्विटर को टूलकिट तैयार किए जाने की सच्चाई के बारे में पता है. कुछ सोच समझ कर ही ऐसा कहा गया होगा. आखिर सच्चाई क्या है. सच्चाई का पता लगाने के लिए ही सेल ने बीते 21 मई को ट्विटर के भारत के महानिदेशक को नोटिस भेज 48 घंटे के अंदर संबंधित दस्तावेजों के साथ जांच में शामिल होने के लिए बुलाया था. संबित पात्रा ने 18 मई को प्रेस कांफ्रेंस के दौरान टूलकिट के बारे में पर्दाफाश किया था. उक्त मसले को लेकर ही उन्होंने ट्वीट भी किया था, ताकि इंटरनेट मीडिया के जरिये लोगों को सच्चाई का पता लग सके, लेकिन ट्विटर की तरफ से उनके उक्त ट्वीट को मैनिपुलेटेड मीडिया बताया जिस पर केंद्र सरकार ने कड़ी आपत्ति जताई थी.
Source : News Nation Bureau