जाफराबाद का कांड किसी बड़ी साजिश को अंजाम देने के लिए तो नहीं!

अमेरिकी राष्ट्रपति की यात्रा के दौरान सुरक्षा बलों का ध्यान अपनी ओर खींचकर आतंकी कही भी अप्रिय घटना को अंजाम देने की फिराक में हो सकते थे, जिससे भारत की किरकिरी हो, और वारदात की तरफ अंतरराष्ट्रीय ध्यान को खींचा जा सके.

author-image
Sunil Mishra
एडिट
New Update
North East Delhi, Delhi Riots, Delhi Violence

जाफराबाद का कांड किसी बड़ी साजिश को अंजाम देने के लिए तो नहीं!( Photo Credit : Twitter)

Advertisment

दिल्ली के उत्तर-पूर्व इलाके में भड़की हिंसा (Delhi Violence) के बाद सरकार और पुलिस प्रशासन पर सवाल खड़े हो रहे हैं. विपक्ष से लेकर सड़कों तक सवाल पूछा जा रहा है कि आखिर समय रहते हिंसा पर काबू क्यों नहीं पाया गया? और क्या पुलिस के पास खुफिया जानकारी नहीं थी? लेकिन लेकिन सूत्रों के मुताबिक, मिली जानकारी के हवाले से खबर आ रही है कि जाफराबाद का बवाल किसी और बड़े कांड से ध्यान भटकाने की साजिश के तहत रखी गई थी. अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप (Donald Trump) के दौरे को लेकर खुफिया और सरकारी एजेंसी बेहद सतर्क थीं. अमेरिकी राष्ट्रपति के दौरे को देखते हुए विशेष सतर्कता बरती जा रही थी. खासकर तब जब बगदादी और सुलेमानी को अमेरिकी फौज द्वारा मारने के बाद राष्ट्रपति ट्रंप का दौरा हो रहा था.

यह भी पढ़ें : 1992 में खून से लाल हुआ था सीलमपुर, उपद्रवियों को मारने के लिए रात भर दफ्तर में डटा रहा आईपीएस

सुरक्षा विशेषज्ञ मेजर जनरल एसपी सिन्हा कहते हैं कि वैसे रास्ट्रपति ट्रंप की सुरक्षा में सात रिंग बनाए गए थे. शुरू के दो रिंग में अमेरिकी सीक्रेट सर्विसेज के लोग होते हैं, जिनको जीरो रिंग कहा जाता है. उनके ऊपर कई तरह के खतरे हैं. लेकिन अमेरिकी राष्ट्रपति की सुरक्षा इतनी चाक चौबंद है कि किसी प्रकार से इसको भेदा नही जा सकता है. ऐसे में आंतकवादी भारत सरकार की शर्मिदगी करा सकते थे. सुरक्षा बलों का ध्यान अपनी ओर खींच कर वे लोग राजधानी में कही भी कोई भी अप्रिय घटना को अंजाम देने की फिराक में हो सकते थे, जिससे भारत की किरकिरी हो, और वारदात की तरफ अंतरराष्ट्रीय ध्यान को खींचा जा सके.

मेजर जनरल सिन्हा कहते हैं कि विदेशी मेहमान की सुरक्षा किसी भी राष्ट्र कर्तव्य होता है. ऐसे में सुरक्षा बलों का दायित्व है कि उनका ध्यान नही भटके. ऐसे में जाफराबाद में प्रदर्शनकारी इकट्ठा हो रहे थे, तो एजेंसियों को इनपुट के आधार पर आशंका हुई कि वो पुलिसिया कार्रवाई को आमंत्रित कर रहे हैं. खुफिया जानकारी पक्की थी कि जैसे हीं पुलिस कोई कार्रवाई करेगी तो वो खुद कुछ महिलाओं, बच्चों को निशाना बनाकर भाग खड़े होंगे. इस परिस्थिति में पुलिस पर बड़ा आरोप लगाया जाएगा और पुलिस और सरकार के खिलाफ बड़ा 'तमाशा' खड़ा करने की कोशिश की जाएगी.

यह भी पढ़ें : देशद्रोह का केस दर्ज होने पर कन्हैया कुमार ने केजरीवाल सरकार का किया धन्यवाद, कहा- सत्यमेव जयते

एजेंसियां इस इनपुट को लेकर भी सतर्क थीं कि माहौल खराब करनेवाले जाफराबाद में बवाल कर ध्यान बंटाने की कोशिश कर सकते हैं. जैसे ही सारा फोकस उस तरफ होगा, दूसरी तरफ कोई बड़ा कांड करने की कोशिश कर सकते हैं. इसलिए समस्या दिखने के बावजूद सारा फोकस उधर नहीं किया गया, बल्कि शेष सुरक्षा व्यवस्था को और सुरक्षित एवं सतर्क रखा गया.

अमेरिकी राष्ट्रपति के भारत दौरे के समय आतंकी जम्मू कश्मीर में आतंकी घटनाओं को अंजाम देते रहे हैं. अमेरिकी राष्ट्रपति बिल गेट्स साल 2000 में जब भारत दौरे पर आए थे, तो समय छतीसिंहपुरा में आंतकवादियों ने एक बड़ा नरसंहार को अंजाम दिया था, जिसमें 36 लोग मारे गए थे. इस नरसंहार में लश्कर-ए-तैयबा और हिजबुल मुजाहिदीन का हाथ पाया गया था.

यह भी पढ़ें : भाई की ट्रेन लेट थी, इसलिए राजधानी एक्सप्रेस में बम होने की फैलाई अफवाह, शख्स ने मांगी माफी

उसी तरह 2015 में अमेरिकी रास्ट्रपति बराक ओबामा भारत के दौरे पर आए थे, तो एक बड़ी साजिश को अंजाम देने की कोशिश हुई थी. लेकिन सुरक्षा बलों ने हमले को नाकाम कर दिया और सुरक्षा एजेंसियों के साथ मुठभेड़ में पांच से अधिक आतंकवादियों मारे गए थे. इसी समय सुरक्षा बलों ने सीमा पार कर भारत मे घुसने का प्रयास कर रहे 100 से ज्यादा आतंकवादियों की कोशिश को नाकाम कर दिया था.

राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के दौरे के समय भी ऐसी ही आशंका थी..इसलिए एजेंसियों का सबसे बड़ा फोकस कश्मीर में ऐसी किसी भी घटना को रोकने को लेकर था. एजेंसियों को ये इनपुट था कि छोटी घटना से ध्यान भटकाकर और उलझाकर आतंकी कहीं दूसरे जगह चौंकानेवाला कांड कर सकते हैं. यही वजह है कि डोनाल्ड ट्रंप के दौरे के समय आतंकी कश्मीर में कोई घटना को अंजाम नहीं दे सके.

Source : IANS

delhi-police delhi-violence America Donald Trump Delhi Riots Zafarabad
Advertisment
Advertisment
Advertisment